आप में बहुत सारे लोगो ने वीटो पावर का नाम सुना होगा पर क्या आप जानते है की ये Veto Power kya hai अगर आप नहीं जानते है तो आप बिलकुल सही जगह पे है इस लेख में हमको वीटो पावर के बारे में पूरी जानकारी देने वाले है.
तो चलिए जानते है की ये Veto Power Kya Hai और ये कैसे मिलता है?
Veto Power Kya Hai (What is Veto Power in Hindi)
वीटो पावर संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्य अंग सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य देशों को मिला एक ऐसा विशेषाधिकार हैं, जिसके इस्तेमाल करने पर किसी अंतरास्ट्रीय प्रस्ताव को पारित होने से रोक जा सकता है।
वीटो शब्द लैटिन भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है “मैं निषेध करता हूँ”, किसी देश के अधिकारी को एकतरफा रूप से किसी कानून को रोक लेने का यह एक अधिकारी है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जब कोई प्रस्ताव विचार के लिए लाया जाता है, तो स्थायी सदस्य इस पर विचार करते है, यदि इसमें से कोई भी देश उस प्रस्ताव पर असहमति व्यक्त करता है, तो वह प्रस्ताव पास नहीं किया जाता है | इस प्रकार की शक्ति को ही वीटो पावर कहा जाता है ।
अब हम जान गए की Veto power kya hai अब वीटो पावर के बारे में विस्तार समझते hai.
वीटो पावर के फायदे.
स्थायी सदस्यों के फैसले से अगर कोई सदस्य सहमत नहीं है तो वह वीटो पावर का इस्तेमाल करके उस फैसले को रोक सकता है।।।
वीटो पावर का इस्तेमाल किसी चीज को करने से रोकने के लिए भी किया जा सकता है।
वीटो की असली ताकत यह है कि इसमें शामिल 5 सदस्यों में से अगर कोई एक सदस्य भी वीटो कर देता है तो
उस मुद्दे पर बाकी बचे 4 सदस्यों की सहमति का कोई मतलब नही होता है।
वीटो पावर कैसे मिलता है.
वीटो (Veto) लैटिन भाषा का शब्द है जिसका मतलब होता है ‘मैं अनुमति नहीं देता हूं वीटो पावर उन देशों को मिलता है जो इसके काबिल हैं
वीटो पावर पाने के लिए जब सुरक्षा परिषद के सारे स्थायी सदस्य पक्ष में मतदान करें और अस्थायी सदस्यों में दो-तिहाई इसका समर्थन करें
भारत को वीटो पावर कब मिला?
अभी तक भारत को वीटो पावर नही मिला है |
सुरक्षा परिषद् के पांच स्थाई सदस्य के पास वीटो पावर है जिसमे रूस, चीन, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस शामिल है. इनमे से कोई भी सदस्य अपनी वीटो पावर की शक्ति नहीं खोना चाहता है और यही सबसे कारन है जिससे भारत को वीटो पावर में मिलने में परेशानी है.
दुनिया की एक बड़ी आबादी भारत में निवास करती हैं। लेकिन भारत को संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्य नहीं बनाया गया हैं।
वीटो पावर कौन कौन से देश के पास है?
अगर आप संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की बात कर रहे है तो पांच देश स्थायी सदस्य है जिनको Veto का अधिकार है, ये देश है:
1. सयुक्त राज्य अमेरिका (USA)
2. रूस (सोवियत संघ के विघटन के बाद ये अधिकार रूस को मिला)
3. यूनाइटेड किंगडम (UK)
4. फ्रांस
5. पीपल रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (चीन)
अमेरिका को वीटो पावर कब मिला?
अमेरिका ने अब तक 83 बार वीटो का इस्तेमाल किया है।
पहली बार इसने 17 मार्च, 1970 को वीटो किया था।
अमेरिका ने ज्यादातर वीटो का इस्तेमाल इजराइल के हितों की रक्षा के लिए किया था।
सुरक्षा परिषद में कितनी बार वीटो का प्रयोग किया गया?
291 बार वीटो का प्रयोग अब तक किया गया है।
सोवियत रूस ने सबसे ज्यादा वीटो का इस्तेमाल किया। अब तक यह 141 बार वीटो का इस्तेमाल कर चुका है जो अब तक के कुल वीटो का करीब आधा है।
अमेरिका ने अब तक 83 बार वीटो का इस्तेमाल किया है। पहली बार इसने 17 मार्च, 1970 को वीटो किया था। अमेरिका ने वीटो का ज्यादातर इस्तेमाल इजरायल के हितों की रक्षा के लिए किया है।
ब्रिटेन ने इसका इस्तेमाल 32 बार किया। पहली बार 30 अक्टूबर 1956 को स्वेज संकट के दौरान किया था।
फ्रांस ने 18 बार इसका इस्तेमाल किया। पहली बार 26 जून 1946 को इसका इस्तेमाल किया था।
चीन ने 15 बार वीटो का इस्तेमाल किया। चीन ने 13 मार्च 2019 को मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर एक बार इसका इस्तेमाल किया था।
सबसे पहले वीटो का प्रयोग किस देश ने किया था
1920 में लीग ऑफ नेशंस की स्थापना के बाद ही वीटो पावर वुजूद में आ गया था। उस समय लीग काउंसिल के स्थायी और अस्थायी सदस्यों, दोनों के पास वीटो पावर थी।
16 फरवरी, 1946 को सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ (यूएसएसआर) ने पहली बार वीटो पावर का इस्तेमाल किया था।
क्या वीटो पावर को संशोधित किया जाना चाहिए
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पाँच प्रमुख मुद्दों पर सुधार किया जाना प्रस्तावित है:
सदस्यता की श्रेणी
पाँच स्थायी सदस्यों द्वारा प्राप्त वीटो पावर का प्रश्न
क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व
सुरक्षा परिषद के आकार का विस्तार
प्रक्रियात्मक सुधार तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद व संयुक्त राष्ट्र महासभा के बीच संबंध। इसके साथ ही अधिक स्थायी सदस्यों को शामिल करने का भी प्रस्ताव है।
Veto Power Kya Hai पर निष्कर्ष
दुनिया में किसी भी अन्य बहुपक्षीय निकाय को यूएनएससी की तुलना में सुधार की अधिक आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह अभी भी 1945 की भू-राजनीतिक आर्किटेक्चर के अनुसार गठित है।
यदि किसी आतंकवादी को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने में 10 साल का समय लगता है तो इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इसमें सुधार की कितनी आवश्यकता है।
यूएनएससी के विस्तार पर बहस काफी समय से चल रही है किंतु अभी भी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और स्थायी सदस्यों के बीच आम सहमति का न होना चिंता का विषय है।
कथनों को मूर्त रूप देने और संयुक्त राष्ट्र की बहुसंख्यक सदस्यता की इच्छा को ध्यान में रखते हुए उचित निर्णय लेने का यह उपयुक्त समय है।
तो दोस्तो यह था वीटो शक्ति के बारे में उम्मीद है की अब आप जान गए होंगे की Veto Power Kya Hai। अगर पोस्ट अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तो के साथ share करे