जैसा की आप सब ने सुना होगा की सरकार द्वारा EVM मशीन में अब एक नोटा(नोने ऑफ़ थे अबोवे) का ऑप्शन भी दिया जायेगा. आखिर में नोटा क्या है आज के इस लेख में विस्तार में जानेंगे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार अब EVM मशीन में एक विकल्प और मिलेगा जो कि नोटा है.
बहुत सारे लोग आज कल नोटा के रट लगाए फिर रहे है लेकिन असल में वो नोटा के बारे में पूरी तरह से अवगत नहीं है. अक्सर लोग यही बोल रहे की अगर हमें किसी पार्टी का कोई उम्मीदवार पसंद नहीं आएगा तो हम नोटा दबा देंगे लेकिन इसका परिणाम व्यर्थ ही जाने वाला है.
NOTA क्या है?
अगर आपको किसी भी पार्टी का कोई उम्मीदवार पसंद नहीं है तो ऐसे में आप किसी को वोट नहीं देना चाहते है. ऐसे लोगो के लिए चुनाव आयोग ने एक सिस्टम लाया है जिससे की ये आसानी से पता चल सके कि ऐसे कितने लोग है जो किसी भी पार्टी के उम्मीदवार को वोट नहीं देना चाहते है. इसका मतलब ये हुआ की अब चुनाव में आपके पास एक विकल्प और मिलेगा जिससे नोटा नाम दिया गया है.
अगर आप को किसी भी पार्टी का कोई भी उम्मीदवार वोट देने के लिए पसंद नहीं आता है तो ऐसे में आप नोटा का बटन दबा सकते है.
अब अगर आपको कोई उम्मीदवार पसंद नहीं है तो आपके सामने एक और विकल्प रहेगा जिसे आप EVM मशीन में दबा सकते है और वो नोटा है.
NOTA का फुल फॉर्म (NOTA Full Form)
नोटा का फुल फॉर्म नोने ऑफ़ थे अबोवे(None of The Above) होता है जिसका मतलब हिंदी में इनमे से कोई नहीं होता है.
कैसे हुई नोटा की शुरुआत
साल 2013 में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के जरिये नोटा विकल्प को ऐड कराया था. अब इलेक्शन में आने वाले एवं मशीन में नोने ऑफ़ थे अबोवे नोटा का गुलाबी बटन दिया रहेगा. अब अगर पार्टी गलत उम्मीदवार लती है तो जनता नोटा का इस्तेमाल कर अपना विरोध(नापसंद) जाता सकेगी.2015 में नोटा को पुरे देश में लागु किया गया था .
नोटा विकल्प चुनने से क्या होगा
अगर सीधे शब्दों में कहा जाये तो नोटा का बटन दबाने का कोई ख़ास मतलब नहीं है. इसका मतलब एक तरह से ये हुआ की आप मान लें आप घर से वोट देने ही नहीं गए थे. ये बात जानकर आपको हैरानी हो रही होगी. भले ही नोटा पर पड़ने वाले मत अधिक क्यों न हो परन्तु सर्वाधिक मत्प्राप्त पार्टी ही विजय घोषित होगी. नोटा का इस्तेमाल एक सन्देश मात्र होगा जिससे भारतीय चुनाव आयोग को ये पता चल सकेगा कि कितने प्रतिशत लोग ऐसे है जिन्होंने किसी भी प्रत्याशी को पसंद नहीं किया है.
निष्कर्ष: NOTA
अब वैसे लोग भी अपना वोट दे पाएंगे जो पसंदीदा उम्मीदवार न होने के कारण वोट देने नहीं जाते थे. मतदाता अगर किसी गलत प्रत्याशी को चुनने से बचना चाहता है और अपने मताधिकार का उपयोग भी करना चाहता है तो ऐसे में अब मतदाता के पास एक विकल्प मिला गया है.