Guru Nanak Jayanti 2022: दोस्तों आज हम बात करेंगे गुरु नानक जयंती के बारे में, गुरु नानक कौन थे, क्या थे, इत्यादि अनेको जानकारी आज इस लेख में उनके बारे में जाएंगे।
तो चलिय दोस्तो हम जानते है गुरु नानक के बारे में, गुरु नानक के बारे में बहुतो को पता ही नही होगा ये कौन थे और इनके बारे में अनेको जानकार।
ये सीखो के प्रथम गुरु थे, तथा नानक का नाम गुरु नानक कैसे और क्यो पड़ा, इन सारी जानकारी को आज हम इस लेख के द्वारा जानेंगे, तो चलिय दोस्तों इनके बारे में सारे जानकारी विस्तार से जानिए।
गुरु नानक जयंती क्या है
गुरु नानक देव जी सीखो के पहले गुरु थे। आंडबर और अंधविश्वास के कट्टर विरोधी गुरु नानक के जन्म कार्तिक पूर्णिमा को मानया जाता है। इनका जन्म 15 अप्रैल 1469 को पंजाब के तलवंडी नामक स्थान पर एक किसान के यहाँ हुआ था।
गुरु नानक जी, बाबा नानक और नानकशाह के नाम से भी जाने जाते है। अपने व्यक्तितव में ये दार्शनिक, योगी, ग्रहस्थ, धर्मसुधारक, समाजसुधारक,कवि,देशभक्त,और विश्वबंधु सभी गुणों से सम्पूर्ण थे।
गुरु नानक देव जी गुरपुरब, जिन्हें गुरु नानक के प्रकाश उत्सव और गुरुनानक देव जयंती के रूप में मनाते है। गुरु नानक देव के जन्म का जश्न सिख लोग बहुत धूम- धाम से मनाते है । कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक जयंती मनाया जाता है।
गुरु नानक जयंती क्यों मनाई जाती है?
हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन सिखो के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी का जयंती मनाया जाता है।
गुरु नानक देव जी की जयंती प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जाती है। क्योकि गुरु नानक देव जी ने कुर्तियों और बुराइयों को दूर कर लोगो के जीवन मे नया प्रकाश भरने का कार्य किये।
सिख धर्म के प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी है। गुरु नानक देव जी ने ही सिख धर्म का स्थापना किये थे। समाज से बुराइयों को हटाने के लिए इन्होंने आपने परिवारिक जीवन और सब सुखों को त्याग कर, दूर-दूर तक यात्राय किये, और लोगो के अंदर सचाई और अच्छाई का भावना का विकास किये।
गुरु नानक देव जी ने परिवारिक सुख को त्याग कर मरदाना, लहना, बाला और रामदास इन चार साथियो को लेकर तीर्थंयात्रा पर निकल गए।
इनहोनो सिर्फ भारतवर्ष ही नही बल्कि अफगानिस्तान और फारस के भी कुछ क्षेत्रों में यात्रा किये। गुरु नानक में समाज मे फैले अंधविश्वास और जातिवाद को मिटाने के लिए बहुत से कार्य किये। यही सबसे प्रमुख कारण है कि हर धर्म के लोग उन्हें सम्मान करते है, तथा उनके जन्मदिवस को पर्व के रूप में मनाते है।
इसलिए कार्तिक पूर्णिमा को लोग गुरु पर्व और प्रकाश पर्व के रूप में मनाते है।
गुरु नानक जयंती कब है?
वैसे तो इनका जन्म तिथि 15 अप्रैल को है, परन्तु गुरु नानक जयंती कर्तिक पूर्णिमा को ऑक्टोबर-नवम्बर में दिवाली के 15 दिन बाद ही मानाते है।
Guru Nanak Jayanti 2022 Date (गुरु पर्व 2022)
मंगलवार 8 नवम्बर 2021 को गुरु नानक जयंती मनाया जाएगा।
गुरु नानक जयंती पर्व तिथि
जयंती तिथि – मंगलवार, 8 नवंबर 2022
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 11:59 बजे (8 नवंबर 2022) से
पूर्णिमा तिथि समाप्त – 14:26 बजे (9 नवंबर 2022) तक
प्रकाश पर्व कब और क्यों मनाया जाता है.
सिख समुदाय के लोग दिवाली के 15 दिन बाद गुरु नानक जयंती या प्रकाश पर्व मनाते है, गुरु नानक जयंती को ही प्रकाश पर्व के रूप में जाना जाता है। सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक जयंती को ही प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है।
प्रकाश पर्व हर समाज के हर लोगो को साथ मे रहने, और कमा कर खाने, और मेहनत ईमानदारी से किसी कार्य को करने का उपदेश देते है।
कहा जाता है कि गुरु नानक देव महाराज महान यूगपुरुष थे,। इस अवसर पर गुरुद्वारे के सेवादार संगत को गुरु नानक देव जी के बताया गए रास्ते पर चलने का संकेत देती है। गुरु नानक देव जी ने समाज मे रहने वाले बुराइयों को दूर करने में अपना पूरा जीवन गुजार दिए।
भगवान एक है। एक ही गुरु है और कोई नहीं। जहां गुरु जाते हैं, वह स्थान पवित्र हो जाता है। भगवान को याद करने, मेहनत से कमाई करने और उसके बाद बांट के खाने का संदेश दुनियाभर में देने वाले ऐसे ही गुरु को सिख समुदाय उनकी जयंती पर याद करता है। गुरु नानक देव के जयंती के रूप में मनाई जाने पर्व को ही पप्रकाश पर्व के रूप में मनाते है।
गुरु नानक जी कौन थे?
गुरु नानक जी सीखो के सबसे पहले गुरु तथा सिख धर्म के संस्थापक थे। गुरु नानक जी का जन्म पाकिस्तान में रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी नामक गाँव मे हुआ था, 1469 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन इनका जन्म हुआ था।
इनके पिता कल्याण या मेहता कालू जी और माँ तृप्ति के घर इनका जन्म हुआ था। गुरु नानक जी हिन्दू परिवार में जन्मे थे।
सिख धर्म मे मान्यता हैं कि गुरु नानक देव बचपन से ही विशेष शक्तियों के धनी थे, अपने बहन नानकी से बहुत कुछ सीखने को मिला। उनका शादी बहुत पहले 16 साल की ही उम्र में हो गया, सुलखिनी से शादी हुई, जो कि पंजाब की रहने वाली थी।
उनको 2 पुत्र भी हुए श्रीचंद, और लख्मी। इन दोनों बच्चों के जन्म के कुछ दिन बाद ही गुरुनानक तीर्थ पर निकल गए। उन्होंने काफी लंबा और काफी जगहों पर यात्राय किये।
इस यात्रा में उनके साथ मरदाना, लहना, बाला और रामदास भी गए। इस यात्रा के दौरान सबको उन्होंने समाजिक कुर्तियों के खिलाफ जागरूक रहने की प्रेरणा दिया। उन्होंने भारत, अफगानिस्तान तथा अरब के कई स्थान पर भर्मण किये। उन्होंने मूर्ति पूजा को निर्थक माना, और रूढ़िवाद सोच का विरोध किये।
उन्होंने अपने सिख धर्म के अनुयायीयो के लिए अपने जीवन के तीन मूल सिद्धांत जपो, कीरत करो और वांडा चखो बता के गए। उनका मृत्यु 22 सेप्टेंबर 1539 को हुआ था.।
गुरु नानक जी के उपदेश
गुरु नानक जी अपने शिष्यों को 10 उपदेश दिए। गुरुनानक जी के शिक्षा का बस एक ही उपदेश है कि परमात्मा, एक अनंत सर्वशक्तिमान और सत्यहै। मूर्ति पूजा आदि सब निरर्थक है। नाम-स्मरन ही सर्वपरि तत्व है, और नाम गुरु के द्वारा ही प्राप्त होता है।।
गुरुनानक जी ने जो 10 उपदेश अपने शिष्यों को दिए वो इस प्रकार है-
1. ईश्वर एक है।
2. सदैव एक ही ईश्वर की उपासना करो।
3. ईश्वर सब जगह और प्राणी मात्र में मौजूद है।
4. ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भय नहीं रहता।
5. ईमानदारी से और मेहनत कर के उदरपूर्ति करनी चाहिए।
6. बुरा कार्य करने के बारे में न सोचें और न किसी को सताएं।
7. सदैव प्रसन्न रहना चाहिए। ईश्वर से सदा अपने लिए क्षमा मांगनी चाहिए।
8. मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से ज़रूरतमंद को भी कुछ देना चाहिए।
9. सभी स्त्री और पुरुष बराबर हैं।
10. भोजन शरीर को जि़ंदा रखने के लिए ज़रूरी है पर लोभ−लालच व संग्रहवृत्ति बुरी है।
गुरु नानक जयंती का महत्व:
इस दिन का महत्व बहुत ही अधिक है । गुरुनानक जयंती के महत्व सिख धर्म के लिए बहुत खास है। ऐसा कहा जाता है कि गुरुनानक जी का सांस्कारिक कर्यो में मन नही लगता था। वो ईश्वर की भक्ति और सत्संग में ज्यादा रहते थे। भगवान के प्रति उनका ऐसा समर्पण देख लोग उनको दिव्य पुरूष मानने लगे।
गुरुनानक जयंती को हर साल बेहद उत्सुकता से मनाया जाता है, क्योंकि सीखो के 10वे गुरु में से सबसे पहले गुरुनानक देव जी है।
इतना ही नही सिख धर्म के संस्थापक भी इन्हें ही बोला जाता है। इन्ही के जन्मदिन के अवसर पर कार्तिक पूर्णिमा के समय इनका जयंती बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता हैं।
यही कारण है कि उनको एक दैविक चमत्कार से कम नही माना जाता है । गुरुनानक जयंती गुरू की शिक्षायो को याद करने और उनकी पूर्णविरती करने का दिन है।
प्रथमिक सिद्धान्तों में से एक ईश्वर में विश्वास था, जिसे एक ओंकार के रूप में भी जाना जाता है और ईश्वर की इच्छा या वाहेगुरु के लिए प्रस्तुत किया जाता है।
सिख धर्म के पवित्र ग्रन्थ, गुरु ग्रन्थ साहिब में इसका विशेष विस्तृत शिक्षाएँ मिलती हैं।
सिख धर्म के गुरुओं के नाम
सिख धर्म के 10 गुरु थे, जिनमें सबसे पहले गुरु एव सिख धर्म के जनक गुरुनानक देव जी थे। उसके बाद 9 गुरु हुए जिनमें सिख धर्म के अंतिम तथा दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह थे।
सिख धर्म के 10 गुरु थे,जो इस प्रकार है-
- गुरु नानक देव जी (1469-1539)
- गुरु अंगद देव जी (1539-1552)
- गुरु अमर दास (1552-1574)
- गुरु राम दास (1574-1581)
- गुरु अर्जुन देव (1581-1606)
- गुरु हरगोविंद (1606-1644)
- गुरु हर राय (1645-1661 )
- गुरु हरकिशन (1661-1664)
- गुरु तेग बहादुर सिंह ( 1664-1675)
- गुरु गोविंद सिंह (1675-1699)
सबसे पहले गुरु तथा सिख के संस्थापक गुरुनानक देव जी थे, उसके बाद उन्होंने अपने दोनों बेटों को छोड़कर दूसरा गुरु अंगद देव जी को बनाए। फिर तीसरे गुरु अमर दास जी बने, गुरु अंगद की उन्होंने बहुत सेवा की,जिससे प्रसन्न होकर इनको गुरु बनाये।
चौथ गुरु राम दास जी बने जो की अमर दास के दामाद थे।
उसके बाद पांचवा गुरु अर्जुन देव बने,जो गुरु अमर दास के पुत्र थे। इसके बाद अर्जुन देव के पुत्र गुरु हरगोविंद छठा गुरु बने।
फिर सातवें गुरु हर राय बने,जो हरगोविंद के पुत्र थे। फिर आठवें गुरु हरकिशन साहिब बने, जो हर राय के पुत्र थे ।
इसके बाद गुरु तेगबहादुर नौवा गुरु बने।
इसके बाद सिख धर्म के अंतिम गुरु गोविंद सिंह बने। जो की गुरु तेगबहादुर के पुत्र थे।
तो चलिय दोस्तो आज हमने जाना गुरुनानक देव के बारे में बहुत कुछ
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