Chhath Puja kya hai छठ पूजा क्यों मनाया जाता है

0

Chhath Puja 2022 : दोस्तो आज हम बात करेंगे हिन्दुओ का महापर्व छठ पूजा के बारे में। हिन्दुयों का महापर्व छठ पूजा के बारे में जानेंगे।

छठ पूजा बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है और साल में 2 बार होने वाले इस पर्व को लोग बहुत ही धूम-धाम और विधि-विधान से मनाते हैं।

हिन्दुओ का महापर्व के बारे में बहुत से ऐसे व्यक्ति भी है जिनको इसके बारे में जानकारी नही है तो चलिय आज हम इस पर्व के बारे में अपने लेख में बताने जा रहे है कि ये Chhath puja kya hai, क्यो इस पर्व का इतना महत्व है, तथा इसके बारे में अनेको जानकारी को जानेंगे।

तो चलिये शुरू करते हैं, हिन्दू के इस महापर्व छठपूजा के बारे में ।

Chhath Puja Kya Hai Hindi

Chhath Puja Kya Hai (Chhath Puja in Hindi)

छठ एक हिंदूयो का महापर्व त्योहार है। छठ पूजा को षष्टी पूजा के नाम से भी जाना जाता है।।

छठ या षष्टी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के  षष्टी को मनाया जाने वाला हिंदू का पर्व है। यह लोकपर्व बिहार, झारखंड, पूर्वी उतर प्रदेश तथा नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाने वाला पर्व है, इस पर्व को सूर्य उपासना का लोकपर्व माना जाता है।

बिहारीयो का यह पर्व एक सांस्कृति है, कहा जाता है कि यह पर्व बिहारियो का महापर्व है।

यह एक मात्र ही बिहार या पूरे भारत का ऐसा पर्व है, जो वैदिक काल से चला आ रहा है,और बिहारियों का एक सांस्कृति बन चुका है।

छठ पूजा पर्व को अनेको नामो से जाना जाता है, छठ, सूर्य पूजा, उषा पूजा, छठी मैया पूजा, डाला पूजा, डाला छठ, तथा सूर्य षष्टी।

बिहार के इस पर्व को हिन्दू ही नही बल्कि इस्लाम सहित अन्य धर्मावली मनाते हुए देखे जा रहे हैं। धीरे-धीरे यह त्योहार प्रवासी भारतीयों के साथ-साथ पूरे विश्व मे प्रचलित हो गया है। इस पर्व में कोई मूर्ति पूजा शामिल नही है।

छठ पूजा का इतिहास (History of Chhath Puja in Hindi)

छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा बहुत ही विधि-विधान से किया जाता है।

छठ पूजा का प्रारंभ सतयुग में भगवान श्री राम, द्वापर में दानवीर कर्ण और 5 पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने सूर्य की उपसना की थी। छठी मैया से जुड़ी एक कथा प्रियवंद की है, जिसने सबसे पहले इस पूजा को किया था।

तो आइए आज हम जानते है,छठ पूजा के इतिहास और कथाएं के बारे में- 

1.  राजा प्रियवंद ने अपने पुत्र के प्राण रक्षा के लिए सबसे पहले छठ पूजा किया-

एक पौराणिक कथा के अनुसार प्रियवंद निःसंतान के वजह से बहुत दुःखी थे, तब उन्होंने महर्षि कश्यप से इसके लिए बात किये,फिर कश्यप के बात के अनुसार प्रियवंद पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। उस दौरान यज्ञ में आहुति देने के लिए जो खीर बनाया गया उसको अपने पत्नी मलिनी को खिलाई, जिस से पुत्र की प्राप्ति तो हुई, पर वह मरा हुआ था।

इससे राजा दुखी हो कर अपने प्राण त्यागने चले, तो उसी समय ब्रह्मा की पुत्री देवसेना प्रकट हुई।।और उसने राजा से बोली मैं सृष्टि की मूल प्रविर्ती के छठे अंश से उत्पन्न हुई हु, इसलिए मेरा नाम षष्टि है। तुम मेरा पूजा तथा लोगो में मेरा प्रचार-प्रसार करो। राजा में ठीक वैसा ही विधि-विधान से कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष षष्टि को किया, जिसके कारण उसे पुत्र की प्रप्ति हुई ।

2.  रावण का वध कर लंका से लौटने के बाद राम और सीता ने भी सूर्य देव की पूजा और उपासना की थी।

3. द्रौपदी ने भी 5 पाण्डव के अच्छा स्वास्थ्य और सुखी जीवन के लिए सूर्य देव की उपासना और पूजा की थी,उसके परिणाम स्वरूप खोया हुआ राजपाठ भी पांडवों को मिला।

4.  दानवीर कर्ण सूर्य के पुत्र थे, तथा वे प्रितिदिन सूर्य की उपासना करते थे।

छठ पूजा सूर्य, उषा, प्रकृति,जल, वायु और उनकी बहन छठी म‌इया को समर्पित है, छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्टि को मनाया जाता है।

छठ पूजा क्यों मनाया जाता है (How Chhath Puja is Celebrated)

भारत की संस्कृति का एक अहम पर्व है छठ पर्व।

भारत मे ऐसे कितने पर्व है, जिन्हें कठिन पर्व माना जाता है और उसी में से एक पर्व छठ पर्व है। छठ को सिर्फ पर्व नही बल्कि महापर्व कहा जाता है।

कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली मनाने के तुरंत बाद इस चारदिवसिये पर्व को मनाना बहुत कठिन होता है,और सबसे महत्वपूर्ण रात्री कार्तिक शुक्ल षष्टि की होती है, इसी कारण इस व्रत का नाम छठी व्रत हो गया।

छठ पर्व साल में दो बार मनाया जाता है, पहली चैत तथा दूसरी कार्तिक में, चैत शुक्ल पक्ष षष्टि को मनाया जाने वाला पर्व चैत छठ तथा कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्टी को मनाया जाने वाला को कार्तिक छठ से जाना जाता है।

मार्कण्डेय पुराण में इस बात का उल्लेख है कि सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकीर्ति देवी  ने अपने आप को छह भागों में विभक्त किया, और इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी के रूप में जाना जाता है, जो ब्रह्मा की मानस पुत्री और बच्चों की रक्षा करने वाली देवी हैं.।

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनसा देवी की पूजा की जाती है. बच्चे के जन्म के बाद इन्हीं देवी की पूजा करके बच्चे के स्वस्थ, सफल और दीर्घ आयु की प्रार्थना की जाती है. 

पुराणों में इन्हीं देवी का नाम कात्यायनी मिलता है। इस पर्व को पूरे मन से करने से जो चाहे सारे फल मिलते हैं।

छठ पूजा एक सांस्कृतिक पर्व है जिसमें घर परिवार की सुख समृद्धि के लिए व्रती सूर्य की उपासना करते हैं।

छठ पूजा कब है? (Chhath Puja Date 2022)

कार्तिक छठ पर्व 2022

28 अक्टूबर 2022, शुक्रवार : नहाय खाय से छठ पूजा का प्रारंभ।

29 अक्टूबर 2022, शनिवार: खरना

30 अक्टूबर 2022, रविवार -छठ पूजा, डूबते सूर्य को अर्घ्य।

31 अक्टूबर 2022, सोमवार, उगते हुए सूर्य को अर्घ्य, छठ पूजा का समापन, पारण का दिन

जबकि

2022 में चैती छठ पर्व

05 अप्रैल 2022, मंगलवार – नहाय-खाये

06 अप्रैल 2022, बुधवार – खरना

07 अप्रैल 2022 ,गुरुवार – निखण्ड, डूबते सूर्य का अर्घ्य

08 अप्रैल 2022, शुक्रवार – पारणा, उगते सूर्य का अर्घ्य

छठ पूजा कब मनाया जाता है? (When is Chhath Puja Celebrated)

छठ पूजा साल में 2 बार मनाया जाता है एक चैत्र माह तथा दूसरा कार्तिक माह में मनाया जाता है।

चैत्र में मनाया जाने वाला पर्व को चैती छठ तथा कार्तिक में मनाया जाने पर्व को कार्तिक छठ के नाम से जाना जाता है।

छठ पर्व पूरे 4 दिनों का होता है, इसमें महिलाये 36 घंटे का व्रत रखती है, इस पर्व को सिर्फ महिला ही नही बल्कि पुरूष भी करते है।

पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि छठी मैया संतानों की रक्षा करती है,और उन्हें दीर्घायु प्रदान करती है।

छठ पूजा व्रत विधि (Chhath Puja Vrat Vidhi)

कहा जाता है कि चैत शुक्ल पक्ष की षष्टी चैत छठ तथा कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्टि कार्तिक छठ कहा जाता है।

यह पर्व सूर्यदेव की उपासना के लिए प्रसिद्ध है, छठ देवी सूर्य देव की बहन है, इसलिए छठ पर्व पर देवी को प्रसन्न करने के लिए सूर्य देव की को प्रसन्न किया जाता है।  यह पर्व गंगा-यमुना या किसी भी नदी के तट पर किया जाता है।

फिर प्रथम दिन चतुर्थी तिथि को नाहा खा के रूप में मनाया जाता है, उसके बाद वाला दिन पंचमी को खरना के रूप में मनाया जाता है, इस दिन शाम को ख़िर रोटी और फल का सेवन किया जाता है। और अगले 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखते है।

छठ पूजा की अहम तिथि षष्टि को नदी या जलाशय के तट पर उदीयमान सूर्य को अर्द्ध समर्पित कर पर्व का समापन करते हैं।

1. छठ पर्व को मंदिरों में पूजा नहीं की जाती है और ना ही घर में साफ-सफाई की जाती है।

2. छठ पर्व से दो दिन पहले चतुर्थी पर स्नानादि से निवृत्त होकर यानी स्नान करने के बाद ही भोजन किया जाता है।

3. पंचमी को उपवास करके संध्याकाल में स्नान करने के बाद खीर-और रोटी तथा फल से अर्द्ध दिया जाता है।

4. षष्ठी के दिन निर्जल प्रात:काल स्नानादि के बाद संकल्प लिया जाता है।

 संकल्प लेते समय इन मंत्रों का उच्चारण करें। 

 ॐ अद्य अमुक गोत्रो अमुक नामाहं मम सर्व    पापनक्षयपूर्वक शरीरारोग्यार्थ श्री   सूर्यनारायणदेवप्रसन्नार्थ श्री सूर्यषष्ठीव्रत करिष्ये।

5. पूरा दिन निराहार और  निर्जल रहकर नदी या तालाब पर जाकर स्नान किया जाता है, और सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है।

6. अर्घ्य देने की  एक विधि होती है। एक बांस के सूप में केला एवं अन्य फल, अलोना प्रसाद, या अन्य परसाद जो भी हो ईख आदि रखकर उसे पीले वस्त्र से ढंक दें। उसके बाद दीप जलाकर सूप में रखें और सूप को दोनों हाथों में लेकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए तीन बार अस्त होते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें।

ॐ एहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते

अनुकम्पया मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर:

छठ व्रत कथा (Chhath Vrat Katha in Hindi)

छठ पर्व का कथा यह है कि जब पांडव अपना सारा राज पाठ जुआ में हार गए थे, तब द्रौपदी ने छठ वर्त का पाठ रखा, और उनकी इस व्रत से सारा राज-पाठ वापस मिल गया। लोकपरंपरा के अनुसार सूर्यदेव और छठी मैया का भाई-बहन का संबंध है।

प्रियवंद और मालिनी की कहानी भी छठ वर्त पर ही है जब प्रियवंद को कोई संतान नही हुआ तो वो बहुत दुखी रहते थे, जिसके बाद महर्षि कश्यप के कहने के अनुसार उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ भी कराए जिसके आहुति का खीर अपने पत्नी को खिला के पुत्र का प्राप्ति भी किये। पर वह पुत्र मारा हुआ जन्म लिया जिसपर प्रियवंद पुत्र वियोग में प्राण त्यागने जा रहे थे

तब भगवान की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुई और राजा से बोली हे राजन मैं सृष्टि के छठे अंश से उत्पन्न षष्टी हु। हे राजन तुम मेरी पूजा करो और अन्य लोगो को इसके बारे में बता कर प्रेरित करो,राजा ने उनकी बात मान कर पूरी निष्ठा से उनका व्रत किया जिससे उसे पुत्र की प्राप्ति हुई। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्टि को हुई थी।

इसके बाद रावण का वध कर जब राम और सीता लंका से लौटे तो उन्होंने भी इस पर्व को किया ।

तब से यह परंपरा चली आ रही है, सदियों से छठ पूजा का व्रत किया जाता है, तथा इस पर्व के करने से संतान को सुख की प्राप्ति होती है।

यह भी पढ़े:

छठ पूजा का महत्व (Importance of Chhath Puja in Hindi)

छठ महापर्व का महत्व बहुत ज्यादा है, यह व्रत सूर्य भगवान, उषा, प्रकृति, जल, वायु आदि को समर्पित है । 

यह पर्व करने से निःसंतान को संतान की प्राप्ति होति है।

कहा जाता है कि इस पर्व में छठ व्रत करने से संतान की रक्षा और उनके जीवन मे ख़ुशहाली का आगमन होता है, तथा सारे संकट क्लेश से उनका रक्षा छठी मैया करती है।

शुक्ल पक्ष के षष्टि तिथि को की गई ,इस पूजा का संबंध संतान के सुख और लम्बी उम्र के कामना के लिए किया जाता है। 

छठ पूजा के दौरान सूर्यदेव और षष्टि की की गई  पूजा से संतान की सुख और उसके आयु दोनों का वरदान मिलता है इसलिए इस पर्व को महिलाये अपने पुत्र प्राप्ति तथा उसके ऊपर आये संकट से बचाने के लिए करती है।

कहा जाता है कि छठ पर्व का आरंभ महाभारत काल मे ही हुआ था, कहा जाता है कि सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने इस पूजा की सुरुआत की । कहा जाता है कि प्रतिदिन घंटो कमर तक पानी मे खरा रहकर सूर्य की पूजा करते थे, एवं उनको अर्द्ध देते थे। सूर्यनारायण की कृपा और तेज से ही वह एक महान योद्धा बने। इसलिए आज भी छठ पूजा में सूर्य को अर्ध देने का परंपरा है।

छठ पूजा को बिहार के साथ-साथ पूरे देश के कई हिस्सों में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, इस पर्व में वैदिक आर्य संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। 

इस पर्व को संतान के सुख और इसके लम्बी आयु के लिए किया जाता है। इस पर्व को सिर्फ महिलाये ही नही बल्कि पुरुष भी करते है।

तो चलिय दोस्तो आज हमने जाना छठ पर्व 2022(Chhath Puja) के बारे में यह हिन्दुयों का एक महापर्व है, जो बिहार के साथ-साथ अन्य देशों के कई हिस्सों में मनाया जाता है, इस पर्व को सिर्फ हिन्दू ही नही बल्कि अनेको धर्म के लोग भी मनाते है।

अगर इस लेख में मेरे द्वारा बताए गए जानकारी आपको अच्छा लगा हो तो दूसरे दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे, जिस से उनको भी इस महापर्व के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त हो सके। धन्यवाद।

पिछला लेखYouTube Se Paise Kamane Ka Tarika
अगला लेखDussehra Kya Hai? दशहरा क्यों मनाया जाता है?
Verman Babu
वर्मन बाबू एक professional blogger है | ये Blogging, SEO, Affiliate Marketing, Make money online, Internet, BlogSpot, WordPress, Computer-related tips, How to guides, Email marketing, Social media, Tips, and tricks इत्यादि से रिलेटेड article लिखते है | नयी चीज़ के बारे में जानना सोचना और Blogging के द्वारा अपनी जानकारी सबके साथ शेयर करना इन्हें अच्छा लगता है |

उत्तर छोड़ दें

Please enter your comment!
Please enter your name here