Wednesday, April 16, 2025
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Ganesh Chaturthi Kya Hai Aur Kyon Manate Hai? गणेश चतुर्थी 2025 में कब है

Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी पर्व बरे ही धूम धाम से मनाया जाता है और हर साल इस दिन को लोग बरे हर्षा और उल्लास के साथ मनाते है पर बहुत सारे लोगो को ये नहीं पता होता है की Ganesh Chaturthi kya hai, गणेश चतुर्थी क्यो और कैसे मनाया जाता है।

अगर आप भी गणेश चतुर्थी के बारे में नहीं जानते हैं, तो मैं आज आपको गणेश चतुर्थी के बारे में जानकारी देने वाला हूं।

प्रत्येक महीने में दो चतुर्थी हिन्दू पंचाग के अनुसार पड़ती है।

इस दिन श्रद्धालु व्रत रख विधि विधान से प्रथम पूज्य भगवान गणेश जी का पूजन-अर्चन करते है, और उन्हें प्रसन्न करते हैं।

तो चलिए जानते है गणेश चतुर्थी के बारे में विस्तार से.

Ganesh Chaturthi Kya Hai (What is Ganesh Chaturthi Meaning) ?

Ganesh Chaturthi  Kya Hai Aur Kyon Manate Hai

गणेश चतुर्थी का महत्व हिन्दू संस्कृति में कोई भी कार्य शुरू करने से पहले भगवान श्री गणेश जी की पूजा सबसे पहले की जाती है।

पंडित अवधेश मिश्रा के अनुसार किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले गणेश जी की पूजा करने से ही सफलता मिलती है और इसे शुभ माना जाता है।

भगवान गणेश के पूजन से भक्तों को सुख, समृद्धि और यश की प्राप्ति होती है। वह सभी संकट से दूर करते हैं।

गणेश चतुर्थी का व्रत करने से या फिर इस दिन गणपति की पूजा-अर्चना करने से सभी बिगड़े कार्य बन जाते हैं। साथ ही भगवान गणेश सारे संकटों को दूर करते हैं।

गणेश चतुर्थी क्यों मनाते है (Why do We Celebrate Ganesh Chaturthi) ?

गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था। इसीलिए हर साल इस दिन गणेश चतुर्थी धूमधाम से मनाई जाती है

भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है।। भगवान गणेश को सभी संकट हरने वाला भी कहा जाता है।

भगवान गणेश ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य के प्रतीक हैं. भारत में लोग कोई भी नया काम शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा करते है. 

भगवान गणेश को विनायक और विघ्नहर्ता के नाम से भी बुलाया जाता है. गणेश जी को ऋद्धि-सिद्धि व बुद्धि का दाता भी माना जाता है

लोकमान्य तिलक जी ने ही सबसे पहले गणेश चतुर्थी त्यौहार को एक निजी उत्सव से बदलकर एक सार्वजनिक उत्सव घोषित किया. इसके पीछे का कारण ये था की, वो चाहते थे की ब्राह्मण और दुसरे जाती के लोगों के बीच का अंतर समाप्त हो जाये जिससे की सभी लोग एक दुसरे के साथ मिलकर इस उत्सव को हर्ष उल्लाश से मनाएं।

हिंदू धर्म में कोई भी पूजा, हवन या मांगलिक कार्य भगवान गणेश की स्‍तुति के बिना अधूरा है। इसलिए गणेश चतुर्थी या भगवान गणेश के जन्‍मदिवस को पूरे देश में उत्‍साहपूर्वक मनाया जाता है।

क्यों गणेश चतुर्थी 10 दिनों के लिए मनाया जाता है?

विद्वानों का मानना है कि पहले के समय में गणेश चतुर्थी पर्व को सिर्फ 1 दिन ही धूम-धाम से मनाया जाता था. लेकिन अब गणेश उत्सव 10 दिनों तक मनाया जाने लगा है. और 11वें दिन  की अनंत चतुर्दशी पर भगवान गणेश की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है.

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, श्री वेद व्यास ने गणेश चतुर्थी से महाभारत कथा श्री गणेश को लगातार 10 दिनों तक सुनाई थी। जब वेद व्यास ने 10 दिन बाद आंखें खोली तो पाया कि गणेश जी का तापमान बहुत अधिक हो गया था। इसके बाद वेद व्यास जी ने गणेश जी को निकट के सरोवर में ले जाकर ठंडा किया था।

लोकमान्य तिलक ने कहा कि भगवान गणेश जी ही मात्र एक ऐसे देवता हैं, जिन्हें सभी समाज के लोग पूजनीय मानते हैं और अंग्रेज भी इसमें दखलअंदाजी नहीं करेंगे। ऐसे में उन्होंने सबको एकजुट करने के लिए सार्वजनिक गणेशोत्सव कि शुरुआत की, जिसमें 10 दिनों तक भगवान गणेश का ये उत्सव हर साल जोर-शोर से मनाया जाने लगा।

गणेश चतुर्थी की शुभ मुहूर्त कब है?

27 अगस्त, बुधवार को दोपहर में 11:06 बजे से दोपहर 01:40 बजे के मध्य गणपति की पूजा का मुहूर्त है।

प्रत्येक महीने में दो चतुर्थी होती है जिन्हें भगवान श्री गणेशजी की तिथि माना जाता हैं. 

दो में से एक जो अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं और पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं.।

गणेश चतुर्थी कब है 2025 में (Ganesh Chaturthi 2025 Date)?

गणेश चतुर्थी 2021 में शुक्रवार के दिन 27 August को है।

यह भी पढ़े:

गणेश चतुर्थी के मुख्य मंत्र क्या हैं?

गणेश जी के मुख्य मंत्रों में से एक मंत्र ये है–: 

“ॐ गं गणपतये नम:

गणेश जी के इस मंत्र के जाप करने से जीवन के तमाम विघ्न दूर हो जाते है।।।।

वैसे गणेश जी के 5 मंत्र होते है।।

1. उच्छिष्ट गणपति का मंत्र..

– ॐ हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा।।

2 . आलस्य, निराशा, कलह, विघ्न दूर करने के लिए  यह मंत्र जपें –  गं क्षिप्रप्रसादनाय नम:

3 . विघ्न को दूर करके धन व आत्मबल की प्राप्ति के लिए गणपति का मंत्र जपें -‘ॐ गंं नमः’

4 . रोजगार की प्राप्ति व आर्थिक वृद्धि के लिए – – ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

5 . विवाह में आने वाले दोषों को दूर करने वालों  गणेश मंत्र का जप करने से शीघ्र विवाह व अनुकूल जीवनसाथी की प्राप्ति होती है- 

– ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

गणेश चतुर्थी पूजा विधि

जिस किसी साल श्री गणेश जी का जन्मोत्सव व्रत रविवार और मंगलवार के दिन पड़ता है,, उस साल इस व्रत को महाचतुर्थी व्रत कहा जाता है। महाचतुर्थी व्रत के दिन पूजा पाठ करने से इंसान के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

देवों में गणेश जी प्रथम पूजनीय देवता माने जाते हैं। किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले गणेश को जरूर याद किया जाता है। भगवान गणेश बहुत ही कृपालु हैं,, इनके पूजन से सारे कष्ट दूर हो जाते है।

पुजन विधि: 

प्रातः काल स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेते हुए गणपति का ध्यान करें। एक साफ चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर इसके ऊपर गणेश जी की मूर्ति को स्थापित करें।

गंगा जल का छिड़काव करके पूरे स्थान को पवित्र करें। भगवान श्री गणेश को पुष्प की मदद से जल अर्पित करें। इसके बाद लाल रंग का पुष्प, जनेऊ, दूब, पान, सुपारी. लौंग, इलायची, नारियल और मिठाई भगवान को समर्पित करें। 

भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाएं। सभी चढ़ावा के बाद भगवान गणेश का धूप, दीप और अगरबत्ती से आरती करें। मंत्र जाप के बाद कथा का श्रवण करें।

मंत्र जाप :

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

ॐ श्री गं गणपतये नम: का जाप करें।

मंत्र जाप और पूजा करने के बाद आखिरी में चंद्रमा को दिए हुए मुहूर्त पर अर्घ्य देकर अपने व्रत को पूर्ण करें।।

यदि आपकी कुंडली में सूर्य ग्रह कमजोर है, तो सूर्य ग्रह को मजबूत करने के लिए श्रीगणेश चतुर्थी व्रत किया जा सकता है।

इस व्रत को करके और सूर्य को प्रणाम किया जाता है और गणेशजी की आराधना की जाती है। इससे आपकी कुंडली में सूर्य के द्वारा होने वाली परेशानियां समाप्त हो जाती हैं।

पूजन करने से पहले ध्यान रहे कि आपका मुख पूर्व या उत्तर की तरफ ही रहे, भगवान श्री गणेश को पुष्प की मदद से जल अर्पित करे।

यह भी पढ़े:

गणेश चतुर्थी कब मनायी जाती है (When Ganesh Chaturthi is Celebrated in Hindi) ?

गणेश चतुर्थी भारत के विभिन्न राज्यो में मनाया जाता है पर महाराष्ट्र में बहुत धूम धाम से इस त्योहार को मनाया जाता है।

गणेश चतुर्थी गणेश जी के जन्मदिन पर मनाया जाता है।

गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था, इसलिए इस दिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है।

गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि, और सौभाग्य के देवता के रूप में मनाया जाता है।

तो दोस्तो आज हमने जाना गणेश चतुर्थी के बारे में अगर जानकारी अच्छा लगा हो तो दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।

Swatantrata Diwas Kya Hai Swatantra Diwas Kyon Manaya Jata Hai? 15 अगस्त की जानकारी

दोस्तो आज हम बात करेंगे स्वंत्रता दिवस के बारे में Swatantrata diwas kya hai, Swatantra Diwas Kyon Manaya Jata Hai और भी बहुत कुछ।

यह दिन हर भारतवासी के लिए उत्साह से भरा हुआ दिन होता है देशभक्ति की भावना पूरी तरह से लोगो में देखने को मिलती है. यह दिन भारत का राष्ट्रीय पर्व है 

15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजो के दास्तान से आजादी मिली और इस दिन ही भारत एक स्वतंत्र देश के रूप में दुनिया के सामने उभरा.

इस लेख के माध्यम से आज हम आपको स्वंत्रता दिवस के बारे में कुछ बाते बतायेंगे ।

Swatantrata Diwas Kya Hai Swatantra Diwas Kyon Manaya Jata Hai

Swatantrata Diwas क्या है? (What is Independence Day in Hindi)

तो चलिए विस्तार में जानते है की स्वतंत्र दिवस क्या है और 15 अगस्त को इससे क्यों मनाया जाता है.

भारत का स्वतंत्रता दिवस

(अंग्रेज़ी में इसको :  Independence Day of India )

(हिंदी में इसको :  स्वतंत्रता दिवस)

(संस्कृतम् में इसको : “स्वातन्त्र्यदिनोत्सवः”) 

हर वर्ष 15 अगस्त को हमारे भारत देश मे स्वंत्रता दिवस मनाया जाता है। 

सन् 1947 ई. में इसी दिन भारत के निवासियों ने ब्रिटिश शासन से स्‍वतंत्रता प्राप्त की थी, तब से इस दिन को स्वंत्रता दिवस के रूप में मनाते है।

यह भारत का राष्ट्रीय त्यौहार भी है।

प्रतिवर्ष इस दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हैं।

15 अगस्त 1947  के दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने, दिल्ली में लाल किले के लाहौरी गेट के ऊपर, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया था

महात्मा गाँधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में लोगों ने काफी हद तक अहिंसक प्रतिरोध और सविनय अवज्ञा आंदोलनों में हिस्सा लिया।

स्वतंत्रता के बाद ब्रिटिश भारत को धार्मिक आधार पर विभाजित किया गया जिसमें भारत और पाकिस्तान का उदय हुआ।

इस दिन को झंडा फहराने के समारोह, परेड और सांस्कृतिक आयोजनों के साथ पूरे भारत में मनाया जाता है। भारतीय इस दिन अपनी पोशाक, सामान, घरों और वाहनों पर राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित कर इस उत्सव को मनाते हैं।

15 अगस्त के दिन हर भारतीय स्वंत्रता दिवस के रूप में मनाते है।

इस दिन सभी राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय सरकार के कार्यालय, बैंक, पोस्ट ऑफिस, बाजार, दुकानें, व्यापार, संस्थान आदि बंद रहते है। 

हालांकि, सार्वजनिक परिवहन बिल्कुल प्रभावित नहीं होता है। इसे बहुत उत्साह के साथ भारत की राजधानी दिल्ली में मनाया जाता है जबकि स्कूल, कॉलेज और सार्वजनिक समुदाय तथा समाज सहित दूसरे शिक्षण संस्थानों में भी मनाया जाता है।

15 अगस्त शायरी | 15 August Shayari in Hindi

Swatantrata Diwas Kyon Manaya Jata Hai? (Why Celebrate Independence Day in Hindi?)

सन् 1947 में इसी दिन भारत के निवासियों ने ब्रिटिश शासन से स्‍वतंत्रता प्राप्त की थी।

यह भारत का राष्ट्रीय त्यौहार है। 

प्रतिवर्ष इस दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हैं।

इस दिन को झंडा फहराने के समारोह, परेड और सांस्कृतिक आयोजनों के साथ पूरे भारत में मनाया जाता है।

यह खास दिन हमें ब्रिटिश उपनिवेशवाद से मिली आजादी की याद दिलाता है, जिसके बाद ही भारत को एक स्‍वतंत्र व संप्रभु देश घोषित किया गया।

भारत की आजादी के लिए यह तारीख लॉर्ड माउंटबेटन ने चुनी थी, जिन्‍हें 1947 में भारत के आखिरी वायसराय के तौर पर नियुक्त किया गया था।

ब्रिटिश संसद ने लॉर्ड माउंटबेटन को 30 जून, 1948 तक यहां की सत्‍ता भारतीयों को स्‍थानांतरित करने का अधिकार दिया था, लेकिन उन्‍होंने इसके लिए 15 अगस्त की तारीख ही चुनी।

कुछ इतिहासकारों का यह भी कहना है कि माउंटबेटन ने सी राजगोपालाचारी के सुझाव पर भारत की आजादी के लिए यह तारीख चुनी थी।

Swatantrata Diwas कब मनाया जाता है (When India celebrate Independence Day?)

हर साल भारतवर्ष में 15 अगस्त के दिन ही हर्ष और उल्‍लास के साथ स्वतंत्रता दिवस के रूप में  मनाया जाता है ।

यह प्रत्‍येक भारतीय को एक नई शुरूआत की याद दिलाता है।

इस दिन 200 वर्ष से अधिक समय तक ब्रिटिश उपनिवेशवाद के चंगुल से छूट कर एक नए युग की शुरूआत हुई थी।

15 अगस्‍त 1947 वह भाग्‍यशाली दिन था जब भारत को ब्रिटिश उपनिवेशवाद से स्‍वतंत्र घोषित किया गया और नियंत्रण की बागडोर देश के नेताओं को सौंप दी गई।

भारत द्वारा आजादी पाना उसका भाग्‍य था, जिसमें अनेक स्‍वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन कुर्बान कर दिए।

स्वतंत्रता दिवस का क्या महत्व है? (Importance of Independence Day in Hindi)

15 अगस्त को भारत में स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाया जाता है।

क्योंकि इसी दिन (15 अगस्त 1947) को भारत देश को अंग्रेजों के अत्याचार से आजादी मिली थी इसीलिए इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

 यह दिन हमे आजादी के लिए स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए त्याग और बलिदान की याद दिलाता है।

गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस में क्या अंतर है?(What is the difference between Republic Day and Independence Day)

26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन साल 1950 में देश का संविधान बनकर तैयार हुआ था.

जबकि 15 अगस्त के दिन देश को आजादी मिली थी, इसलिए इस दिन को देश स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाता है

स्वतंत्रता दिवस पर झंडे को नीचे से रस्सी द्वारा खींचकर ऊपर लाया जाता है, फिर खोलकर फहराया जाता है, जिसे ध्वजारोहण कहा जाता है

जबकि 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर झंडा ऊपर ही बंधा रहता है, जिसे खोलकर फहराया जाता है. इसे संविधान में ‘Flag Unfurling’ कहा जाता है

स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण लालकिले से किया जाता है. जबकि गणतंत्र दिवस के दिन झंडा राजपथ पर फहराया जाता है

स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले से ध्वजारोहण प्रधानमंत्री करते हैं. जबकि गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति राजपथ पर झंडा फहराते हैं |

गणतंत्र दिवस पर देश अपनी सैन्य ताकत और सांस्कृतिक विलक्षणता को दिखाता है. जबकि स्वतंत्रता दिवस के दिन ऐसा कुछ नहीं होता है 

स्वतंत्रता दिवस पर 10 लाइन (10 Lines on Independence Day in Hindi)

आज के समय में लोग ज्यादा बाते करने से बचते हैं उन्हें अपना समय बहुत ही कीमती लगता है| ज्यादा समय न होने की कमी से लोग अपना इतिहास भूलें बैठे हैं 

बहुत से लोग ये भूल चुके हैं की 15 अगस्त के दिन क्या क्या हुआ था ? किसने किसे क्या कहा था? कौन था जिसकी वजह से 15 अगस्त मनाया जाता है?

खैर माफ़ कीजिये मैं केवल आपके सामने कुछ लाइने लेकर आया हूँ जिससे आपको कुछ भूली बिछड़ी बाते याद आ जाएँगी और आपको पता चलेगा की देश की आज़ादी के क्या मायने है.

भारत दुनिया का सबसे पहला और सबसे बड़ा देश हैं जहां सभी प्रकार की जाती धर्म के लोग रहते हैं | यहाँ आपको 1652 प्रकार की भाषाएँ मिलेंगी जिसमे से कुछ ही भाषा ज्यादा प्रयोग में लायी जाती है.

भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हिंदी भाषा है Hindi भाषा भारत की सर्वश्रेष्ठ भाषा है जिसे दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति समझ ही लेता है.

भारत में अनेक प्रकार के लोगों की अनेक भाषाओं के बिच केवल हिंदी भाषा ही है जिसे आसानी के साथ समझा जाता है.

भारत के स्वतंत्रता दिवस पर 10 लाइने | स्कूल, कॉलेज, भाषण समारोह में बोली जाने वाली 15 अगस्त पर 10 लाइन आज मै आपको बताने जा रहा हूँ जो इस प्रकार है.

10 Lines on Independence Day in Hindi (स्वतंत्रता दिवस पर 10 लाइन)

  1. भारत का सबसे महत्वपूर्ण दिवस स्वतंत्रता दिवस होता है।
  2. भारत की स्वतंत्रता के लिए न जाने कितने लोगों ने अपनी जान का त्याग किया है|
  3. हर साल 15 अगस्त पर बड़ी ही धूम धाम से इस दिन को मानाया जाता है|
  4. भारत का स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 1947 को ब्रिटीशि से जीतने की ख़ुशी में मनाया जाता है|
  5. भारत के अन्य त्योहारों में इस त्यौहार को सबसे ज्यादा मनाया जाता है |
  6. 15 अगस्त के कुछ दिनों पहले ही भारत की तीनो सेनायें पहले से ज्यादा मजबूत और एकजुट हो जाती है|
  7. 15 अगस्त के दिन यदि किसी पर शक भी होता है तो उसे बिना चेक किया नहीं छोड़ा जाता है|
  8. 15 अगस्त के दिन भारत के शहीदों को याद किया जाता है| 15 अगस्त के एक दिन पहले 14 अगस्त को स्कूलों में झांकियां और अलग अलग प्रकार के नृत्य,नाट्य किये जाते हैं|
  9. भारत की एकता ही उसकी शक्ति हैं 15 अगस्त सभी दुःख दर्द आपसी बैर भाव भुला कर ख़ुशी बनाने का त्यौहार है|
  10. प्रत्येक शहर में सरकारी अवकाश रहने पर प्रत्येक संस्थान बंद रहते हैं|

अंग्रेजों के अत्याचारों और अमानवीय व्यवहारों से त्रस्त भारतीय जनता एकजुट हो इससे छुटकारा पाने हेतु कृतसंकल्प हो गई।

सुभाषचंद्र बोस, भगतसिंह, चंद्रशेखर आजाद ने क्रांति की आग फैलाई और अपने प्राणों की आहुति दी। 

सरदार वल्लभभाई पटेल, गांधीजी, नेहरूजी ने सत्य, अहिंसा और बिना हथियारों की लड़ाई लड़ी। 

सत्याग्रह आंदोलन किए, लाठियां खाईं, कई बार जेल गए और अंग्रेजों को हमारा देश छोड़कर जाने पर मजबूर कर दिया।

इस तरह 15 अगस्त 1947 का दिन हमारे देश के लिए ‘स्वर्णिम दिन’ बना।  हम, हमारा देश स्वतंत्र हो गए।

यह दिन 1947 से आज तक हम बड़े उत्साह और प्रसन्नता के साथ मनाते चले आ रहे हैं। 

इस दिन सभी विद्यालयों, सरकारी कार्यालयों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है, राष्ट्रगीत गाया जाता है और इन सभी महापुरुषों, शहीदों को श्रद्धांजल‍ि दी जाती है जिन्होंने स्वतंत्रता हेतु प्रयत्न किए। मिठाइयां बांटी जाती हैं।

FAQ on Swatantra Diwas

स्वतंत्रता दिवस कब क्यों और कैसे मनाया जाता है?

स्वतंत्रता दिवस 15 august 1947 में ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी की याद में मनाया जाता है

15 अगस्त क्यों मनाया जाता है

इस दिन हमें ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी.

हमारे देश को आजादी कैसे मिली?

आजादी हमें यूं ही नहीं मिली। इसके लिए न जाने कितने फांसी के फंदे पर झूले थे और न जाने कितनों ने गोली खाई थी, तब जाकर हमने यह आजादी पाई ।


क्या 26 जनवरी और 15 अगस्त के बीच अंतर है?

15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ था। जिसे हम स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं। इसके बाद हमने अपना संविधान बनाया और इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया। जिसे गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के दिन तिरंगे को ऊपर की ओर खींचकर फहराया जाता है। जबकि गणतंत्र दिवस पर झंडा ऊपर ही बंधा होता है, इसे वहीं खोलकर फहराया जाता है
15 अगस्त के दिन तिरंगे का ध्वजारोहण (Flag Hoisting) किया जाता है। जबकि गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी के दिन झंडा फहराना कहा जाता है न कि ध्वजारोहण।
स्वतंत्रता दिवस (independence day) पर प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं। गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर राष्ट्रपति झंझा फहराते हैं।
स्वतंत्रता दिवस लाल किले पर झंडा ध्वजारोहण किया जाता है गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर झंडा फहराया जाता है। ।


फ्लैग होस्टिंग को हिंदी में क्या कहते हैं?

स्वतंत्रता दिवस में ध्वजारोहण को अंग्रेजी में फ्लैग होस्टिंग (Flag Hoisting) कहते हैं

Conclusion: Swatantra Diwas Kyon Manaya Jata Hai

इस लेख में आपने विस्तार से जाना स्वतंत्र दिवस के बारे में उम्मीद है की आपको इंडिपेंडेंस डे से जुड़े सभी सवालो के जवाब आपको मिल गए होंगे Swatantrata Diwas Kya hai aur Swatantra Diwas kyon manaya jata hai.

आशा करता हूँ कि आपलोगो को मेरे द्वारा दिये गए जानकारी अच्छा लगा होगा ,तो अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करे । 

धन्यवाद।

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Karwa Chauth क्या है? करवा चौथ क्यों मनाया जाता है

Karwa Chauth 2022: करवा चौथ हिन्दुयों का एक प्रमुख त्योहार है। पर बहुत सारे लोगो को इसके बारे में पता भी नही होगा कि Karwa Chauth Kya Hai करवा चौथ क्यो और कैसे मनाया जाता है, करवा चौथ का क्या महत्व है अपने भारत मे इसको करने से क्या होता है।

आज हम बात करेंगे, करवा चौथ के बारे में की इसको भारत मे लोग मानते कैसे है ये पर्व क्यों मनाया जाता है।

आज हम अपने लेख में करवा चौथ को विस्तार से जानेंगे कि अपने भारत देश मे इस पर्व का इतना महत्व क्यो है।

यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के चतुर्थी को मनाया जाता है  भारत देश मे सभी सौभाग्यवती स्त्री इस पर्व को अपने पति के लंबी आयु के लिए मानती है।

Karwa Chauth Kya Hai? करवा चौथ क्यों मनाया जाता है

Karwa Chauth क्या है?

करवा चौथ हिन्दुयों का एक महत्वपूर्ण त्योहार है यह पर्व देश के अनेक राज्यो में बहुत धूम – धाम से मनाया जाता है पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा, राज्यस्थान जैसे अनेक राज्यों में बहुत धूम- धाम से मनाया जाता है।

यह पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है यह पर्व सौभाग्यवती स्त्रीयां अपने पति की लंबी आयु के लिए करती है।

करवाचौथ दो शब्दों से मिलकर बना है करवा + चौथ

करवा का मतलब होता है कि मिट्टी का बर्तन और चौथ मतलब चतुर्थी।

इस त्योहार में मिट्टी का बर्तन यानी करवे का विशेष महत्व माना गया है।

सभी विवाहित स्त्रिया इस पर्व का साल भर इंतजार करती है और इस पर्व को बहुत ही श्रद्धा-भाव से करती है माना गया है कि इस पर्व से पति-पत्नी के अटूट रिश्ते, प्यार, विश्वास और रिस्तो में मजबूती बनाये रखने का प्रतीक है यह त्योहार।

करवा चौथ का त्यौहार हमारे भारत देश के सभी विवाहित स्त्री अपने पति के लम्बी आयु के लिए करती है।

करवा चौथ का सच क्या है? (करवा चौथ का इतिहास)

करवा चौथ का परंपरा बहुत सी प्रचीन कथाओ के अनुसार देवताओं के समय से चली आ रही है।

कथाओ के अनुसार माना जाए तो देवताओं और दानवों के बीच एक बार युद्ध शुरू हुआ था जिसमें देवताओं की हार हो रहा थी ऐसे में देवता ब्रह्मदेव के पास गए, और रक्षा की प्राथना किये।।।

तब ब्रह्मदेव ने इस संकट से बचने के लिए सभी देवता की पत्नी को बोले की अपने अपने पति के लिए व्रत रखें और सच्चे दिल से उनके विजयी के लिए प्रर्थना करना चाहिए।

सभी देवियों ने ब्रह्मदेव की बातों को स्वीकार किए तथा अपने-अपने पति की लम्बी उम्र की कामना के लिए उपवास भी रखी फिर देवताओं की जीत हुई।

ब्रह्मदेव के बात के अनुसार सभी स्त्रियों ने कार्तिक मास के चतुर्थी के दिन इस पर्व को किये। तब अपने पतियों की विजयी को सुनकर सब ने अपना वर्त खोला और खाना खाया उस समय अकाश में चांद भी निकल आया था,,उसी दिन से इस पर्व को मनाया जाने लगा जिसको करवा चौथ वर्त के नाम से जाना जाने लगा।

स्त्री को शक्ति का रूप माना जाता है इसलिए उसे यह वरदान मिला है की वो जिस चीज के लिए सच्चे मन से तप करेगी, उसे उसका फल अवश्य मिलेगा।

करवा चौथ के दिन किस देवी देवता की पूजा की जाती है?

इस व्रत में भगवान शिव शंकर, माता पार्वती, कार्तिके, गणेश और चंद्र देवता की पूजन कि जाति है।

करवा चौथ की कथा सुनने से विवाहित महिलाओं का सुहाग बना रहता है घर मे सुख,शांति, समृद्धि और संतान का सुख मिलता है।

इस त्योहार में मेहंदी सौभाग्य की निशानी मानी जाती है। भारत में ऐसी मान्यता है कि जिस किसी लड़की या स्त्री के हाथों की मेहदी ज्यादा रचती है , उसे अपने पति तथा ससुराल से ज्यादा प्रेम मिलता है।

करवा चौथ के इस पर्व को कब मनाया जाता है?

करवा चौथ के इस पर्व को कार्तिक मास के चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है

इस पर्व को मानने के लिए सभी विवाहित स्त्री पूरे दिन उपवास करती है फिर रात को चांद के दर्शन के बाद ही अपना पर्व तोड़ती है ।

पुर्णिमा के चांद के बाद जो चौथ पड़ती है, उसी दिन करवा चौथ मनाया जाता है ।

Karva Chauth Date 2022

करवा चौथ 2022 में भारतीय समय के अनुसार  

प्रारंभ    :-  गुरुवार 13 अक्टूबर ( 3:08am ) बजे

समाप्ति :-  शुक्रवार 14 अक्टूबर ( 6:50pm ) बजे 

करवा चौथ की कहानी?

करवा चौथ की कहानी यह है कि देवी करवा अपने पति तुंगभद्रा के साथ नदी के किनारे रहती थी, रोज के तरह उसके पति  एक दिन नदी में स्नान करने गए,, तो मगरमच्छ ने उनके पैर को पकड़ लिया और नदी में खीचने लगा अपने पति को मौत के मुँह में यानी मौत के करीब जाते देख पत्नी करवा दौर के नदी के पास पहुँची और एक कच्चे धागे से मगरमच्छ को पेड़ में बांध दी।

करवा के सतीत्व के कारण ऐसे मगरमच्छ उस कच्चे धागे से बांध गया कि वो इधर से उधर नही हो पा रहा था करवा के पति के साथ-साथ उसका भी जिंदगी मौत के करीब लगने लगा। दोनों के प्राण संकट में फस चुके थे।

उसके बाद करवा ने यमराज को पुकारा और उनसे बोला कि मेरे पति को जीवनदान और इस मगरमच्छ को मिरत्युदण्ड मिलना चाहिए, इस पर यमराज बोले ये संभव नही है इस मगरमच्छ का जिंदगी अभी बचा है पर तुम्हारे पति का जिंदगी खत्म है ये नही हो सकता।

इस पर करवा गुस्सा हो कर बोली अगर आपने ऐसा नही किया तो हम आपको क्षाप दे देंगे क्षाप से डर कर यमराज ने करवा की बात मान ली और मगरमच्छ को यमलोक भेज कर उसके पति को जीवनदान दिए ।

इसलिए करवा चौथ में सुहागिन स्त्रियां करवा माता से प्रर्थना करती है कि हे करवा माता जैसे आपने अपने पति की रक्षा की वैसे ही मेरे पति का भी रक्षा करना।

करवा चौथ क्यों मनाया जाता है | करवा चौथ मनाने का क्या कारण है?

करवा चौथ पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य की प्रप्ति के लिए इस दिन सुहागन सब करवा चौथ मानती है। इस दिन सुहागन लोग पति की लंबी उम्र के लिए इस व्रत को रखती है और चंद्रमा की पूजा करती है।

चंद्रमा के साथ-साथ भगवान शिव शंकर, माता पार्वती, कार्तिक, तथा श्री गणेश जी की भी पूजा की जाती है।। तब इसको करने से फल की प्रप्ति होती है यह पर्व कार्तिक माह के चतुर्थी को मनाया जाता है इसलिए इसे करवाचौथ कहते है।

करवा चौथ नारियो का त्योहार है हिन्दू धर्म में नारी शक्ति को शक्ति के रूप में जाना जाता है। कहा जाता है कि नारी के पास ऐसा वरदान है कि वो अपने मन क्रम से जिस भी कार्य मनोकामना के लिए व्रत करेगी उसे अवश्य प्राप्त होगा।। खासकर अपने पति के लिए कोई व्रत करती है उसका फल उसको अवश्य मिलता है।

कथाओ की बात माने तो माता पार्वती शिव जी को पाने के लिए तप और व्रत करती रही तथा माँ सावित्री अपने मृत पति को तप और व्रत के बल पर यमराज से छुड़ाकर लाती है। स्त्री में इतनी शक्ति होती है कि  अगर वो चाहे तो अपने तप के दम पर कुछ भी पा सकती है। इसलिए महिलाये करवाचौथ के रूप में अपने पति के लंबी उम्र के लिए व्रत करती है।

तप का अर्थ होता है किसी चीज को त्याग कर किसी चीज को पाने के लिए आगे बढ़ना 

जैसे महिलायें अन्न जल सब कुछ त्याग कर अपने पति के लंबी उम्र की कामना करती है, चांद को देखने के बाद ही इस व्रत को सम्पूर्ण समझा जाता है।

करवा चौथ त्यौहार कैसे मनाया जाता है?

सबसे पहले सुबह उठकर महिलाये सर्गही खाती है,, उसके बाद अपने शादी के जोड़े में सज धज कर पुरे दिन भूखी-प्यासी रहती है फिर दिन में शिव,पार्वती,कार्तिक की पूजा करती है।

और शाम में करवा देवी की पूजा करती है जिसमे अपने पति की लम्बी उम्र की कामना की जाती है।

फिर चांद का इंतजार करती है ,जब तक चाँद का दर्शन नही होता तब तक उनका इंतजार करती है, जब चाँद दिख जाता है फिर उसके बाद महिलायें छलनी से चाँद और पति की छवि देखती है। उसके बाद पति पानी पिलाकर व्रत खुलवाता है।

क्यों देखते हैं करवाचौथ पर छलनी से चांद

करवा चौथ के दिन छलनी का भी काफी महत्व होता है, पूजा के थाली में सभी चीजों के साथ छलनी भी अपनी खास जगह पर होती है। छलनी से अपने पति और चंद्रमा को देखकर ही व्रत पूरा करती है महिलायें।

करवा चौथ में छ्लनी से देखने का एक पौराणिक कथा है, व्रत छल से न तोड़ दे, इसलिए अपने हाथों में छलनी रखकर उगते हुए चांद को देखने की परम्परा शुरू हुआ।

कहा जाता है कि एक बार वीरता नाम की स्त्री ने शादी के बाद यह व्रत किया, लेकिन सुबह से भूखी-प्यासी रहने के कारण उसका तबियत बहुत खराब हो गया। तब उसके भाई ने चाँद निकलने से पहले एक पेड़ की आड़ में छलनी में दीप रखकर बहन को कहने लगे कि चांद निकल गया, इस पर वीरता ने अपना व्रत खोल दिया और उसके पति की म्रत्यु हो गयी।

जब विरता को इस छल के बारे में पता लगा तो वो परेशान हो गयी और अपने पति के सव के पास बैठ कर साल भर करवा माँ की पूजा किया,और अगले साल पूरा नियम से करवाचौथ का व्रत किया, इस पर करवा माँ खुश हो कर उसके पति को जीवित कर दी। 

उसी समय से किसी महिला का व्रत छल से न टूटे इसलिए छलनी में देखने के बाद ही व्रत पूरा होता है।

करवाचौथ व्रत की पूजा विधि 

हिन्दू धर्म के अनुसार करवाचौथ का व्रत बहुत ही पवित्र माना गया है। करवा चौथ सुहागन स्त्रियों का एक पवित्र त्योहार है इसमें अपने पति के लम्बी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। अपने पति के अच्छे सेहत और उनके सुख के लिए ये व्रत करती है।

चलिए आज हम जानते है इस व्रत को कैसे किया जाता है:-  सबसे पहले

– सूर्योदय से पहले स्नान करे और व्रत का संकल्प ले।। और पूरा दिन निर्जला रहे यानी जलपान या किसी चीज का सेवन न करे।

– प्रात: इस मन्त्र के जप से व्रत प्रारंभ करें- ‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुथीज़् व्रतमहं करिष्ये।’

– अब जिस जगह  पर आप पूजा करने जा रहे हैं वहाँ उस दीवार पर गेरू से फलक बनाकर चावल को पीसें। इस घोल से करवा को बनाये।। इस विधि को करवा धरना कहा जाता है।

– फिर आठ पूरियों की अठावरी बनाकर उसके साथ हलवा बनाएं और पक्के पकवान भी बनाएं।

– पीली मिट्टी से गौरी माँ की मूर्ति बनाए और उनकी गोद में गणेशजी को रखे।।।

– मां गौरी को लकडी के सिहांसन पर बिठाएं और फिर उसके बाद  लाल रंग की चुनरी ओढाकर उन्हें अन्य श्रंृगार की सामग्री अर्पित करें। अब इसके सामने जल से भरा कलश रखें।

– गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें। उसके ऊपर दक्षिणा रखें। रोली से करवे पर स्वास्तिक बनाएं।

–  विधि पूवर्क पहले गौरी गणेश की पूजा करें और करवाचौथ की कथा का पाठ करें।

– पूजा के बाद घर के सभी वरिष्ठ लोगो के चरण स्पर्श करें और उनका आशीर्वाद लें।

– फिर रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और अपने पति को और । और फिर चन्द्रमा को अर्ध्य दें।

– इसके बाद अपने पति का आशीर्वाद लें। उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें।

पूजा के लिए मंत्र

इस पूजा के लिए 5 मंत्रो का प्रयोग किया जाता है।

* पार्वतीजी का मंत्र – ॐ शिवायै नमः

* शिव का मंत्र – ॐ नमः शिवाय

* स्वामी कार्तिकेय का मंत्र – ॐ षण्मुखाय नमः’

* श्रीगणेश का मंत्र – ॐ गणेशाय नमः

* चंद्रमा का पूजन मंत्र – ॐ सोमाय नमः

करवा चौथ का महत्व

कार्तिक मास के कृष्ण के चतुर्थी तिथि को इस पर्व को मनाते है। इस पर्व को सुहागिन महिलाये अपने पति के लम्बी उम्र, उनके जिंदगी में कोई कष्ट न हो , या अपने पति की दुख को दूर करने के लिए करती है।

इस व्रत को कुंवारी कन्याओं भी अपने मनचाहा पति की प्राप्ति के लिए करती है।

माना जाता है कि करवाचौथ एक ऐसा त्योहार हैं जिससे सुहागिन स्त्रियों अपने के रक्षा और उनके लम्बी उमर की प्रार्थना के लिए करती है।।।माँ पार्वती भी शिव को पाने के लिए तथा मा सावित्री भी अपने मृतपति के जीवनकाल के लिए की थी।

करवाचौथ पर्व का महत्व अपने पति के आयु और उसके दुख को दूर करने के लिए किया जाता है।

दोस्तों आज हमने जाना करवाचौथ पर्व के बारे में, इस पर्व को कैसे और क्यो किया जाता है। इस पर्व का क्या महत्व है, अनेको जानकारी इस लेख में हमने जाना 

अगर मेरे द्वारा बताए गए जानकारी आपको अच्छा लगे तो अपने दोस्तों के साथ share जरूर करे। धन्यवाद।

Dussehra Kya Hai? दशहरा क्यों मनाया जाता है?

Dussehra 2022 : दशहरा पर्व बरे ही धूम धाम से मनाया जाता है और हर साल इस दिन को लोग बरे हर्षा और उल्लास के साथ मनाते है पर बहुत सारे लोगो को ये नहीं पता होगा की Dussehra Kya Hai? दशहरा क्यों मनाया जाता है? इस त्योहार को मनाने से क्या होता है।

आज हम बात करेंगे दशहरा के बारे में,  दशहरा हिन्दुओ का एक प्रमुख त्योहार है।

आज हम अपने लेख में विस्तार से जानेंगे दशहरा के बारे में की क्यो हिन्दु इस पर्व को इतना महत्व देते हैं।

इसी दिन भगवान राम ने रावण का तथा माँ दुर्गा ने नौरात्री एवं दस दिन के युद्ध के उपरांत महिषासुर पर विजयी प्राप्त की थी इसलिए इस दिन को दशहरा के रूप में मनाते है।

Dussehra Vijayadashami Kyon Manate Hai?

Dussehra Kya Hai? (What is Dussehra in Hindi)

दशहरा (विजयादशमी या आयुध-पूजा) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। दशहरा को विजयादशमी भी बोला जाता है।

दशहरा हिन्दुयों का एक प्रमुख त्योहार है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथी को इसका आयोजन किया जाता है।

इस पर्व का मुख्य बात है असत्य पर सत्य की विजय, क्योकि इसी दिन भगवान राम ने रावण  तथा माँ दुर्गा ने नौ रात्री तथा दसवे दिन युद्ध के उपरांत महिषासुर का वध किया था । इसलिए इस दिन को दशहरा के रूप में मनाते है ।

हिन्दू धर्म मे इस त्योहार का विशेष महत्व है।

यह पूरे देश मे मनाई जाती है, जबकि पूरे देश मे इस त्योहार को अलग – अलग नामो से जाना जाता है ।

पूर्व और उत्तर पूर्व में दुर्गा पूजा और विजयादशमी  के नाम से जबकि उतरी,दक्षिणी, और पश्चिमी क्षेत्रों में इसको दशहरा के नाम से जाना जाता है।

पूरे देश में अलग – अलग नामो और स्वरूपो में मनाया जाता है पर इसका महत्व सिर्फ अधर्म पर धर्म की विजय की जीत।

दशहरा का इतिहास (History of Dussehra in Hindi)

दुर्गा पूजा या विजयदशमी में मां दुर्गा द्वारा महिषासुर के वध का जश्न मनाया जाता है।

जबकि दशहरे में भगवान राम द्वारा रावण के वध का उत्सव मनाया जाता है।

हर साल नौरात्री के दसवे दिन दशहरा मनाया जाता है। भारत के कोने – कोने में इस त्योहार को अलग – अलग तरीको से मनाते है, इस दिन रावण के पुतला दहन किया जाता है।

भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिए इस दशमी को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है। 

दशहरा वर्ष की तीन अत्यन्त शुभ तिथियों में से एक है, अन्य दो हैं चैत्र शुक्ल की एवं कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा। इसी दिन लोग नया कार्य प्रारम्भ करते हैं, शस्त्र-पूजा की जाती है।।

इस उत्सव का सम्बन्ध नवरात्रि से भी है क्योंकि नवरात्रि के उपरांत ही यह उत्सव होता है और इसमें महिषासुर के विरोध में देवी के साहसपूर्ण कार्यों का भी उल्लेख मिलता है।

आश्विन शुक्ल की दशमी तिथि को मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था और सभी देवताओं और आम लोगों को इस असुर के आतंक से मुक्ति दिलाई थी। इसके बाद सभी देवताओं ने देवी की इस विजय पर उनकी पूजा की थी। इसी के चलते यह तिथि विजया दशमी कहलाई। 

दशहरा के दिन मां दुर्गा और भगवान राम की पूजा-अर्चना की जाती है। श्री राम मर्यादा और आदर्श के प्रतीक हैं। वहीं, मां दुर्गा शक्ति का प्रतीक हैं।

दशहरा क्यों मनाते हैं? (Why We Celebrate Dussehra in Hindi)

दशहरा के दिन ही भगवान राम 14 वर्ष का वनवास काट कर और रावण का वध कर के घर आये थे,, इसलिए इस दिन को दशहरा मानते है।

इस दिन माँ दुर्गा ने नौरात्री के एवं दसवे दिन युद्ध के उपरांत महिषासुर का वध कर के पापियों से मुक्ति दिलायी और उस पर विजय प्राप्त की थी, इसलिए इस दिन को विजयादशमी  के रूप में मनाते है।

श्रीराम ने जिस दिन रावण का वध किया उस दिन शारदीय नवरात्र की दशमी तिथि थी। इसीलिए इस त्योहार को विजयदशमी भी कहते हैं। **

रावण के बुरे कर्म पर भगवान् श्रीराम की अच्छाई की जीत हुई इसलिए इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के त्योहार के रूप में भी मनाते हैं। 

विजयदशमी पर रावण का पुतला बनाकर उसका दहन किया जाता है।

नवरात्रि के बाद क्यों मनाया जाता है दशहरा?

नवरात्रि साल में दो बार मनाई जाती है. पहला चैत्र मास में, जिसे चैत्र नवरात्र कहते हैं और दूसरा आश्व‍िन मास में, जिसे शारदीय नवरात्र‍ि कहते हैं.।

नवरात्रि के दिनों में नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है.।

आश्विन मास में मनाए जाने वाले नवरात्रों में दसवें दिन विजयदशमी यानी दशहरा त्‍यौहार के रूप में मनाया जाता है.।

नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है जिसका हिंदी अर्थ नौ राते होती है इन नौ राते और दस दिन के दौरान  देवी के नौ रूपों की पुजा की जाती है। और दसवा दिन को दशहरा के नाम से जाना जाता है।

दशहरा नौ दिनों से जारी दुर्गा पूजा समारोह की समाप्ति का प्रतीक है। माँ दुर्गा नौ दिन के युद्ध के उपरांत दसवें दिन महिषासुर को मारकर पापियों से मुक्ति दिलाई इसलिए इस दिन को दशहरा मनाया जाता है।

दशहरा का महत्व (Importance of Dussehra in Hindi)

इस पर्व को असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है।। इसलिए इस दशमी को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है।

दशहरा अथवा विजयादशमी भगवान राम की विजय और माँ दुर्गा की विजय के रूप में मनाया जाता है।। दोनों ही रूपो में यह शक्ति – पूजा का पर्व है।

बुराई पर अच्छाई की जीत,

झूठ पर सच्चाई की जीत,

अहम न करो गुणों पर,

यही है इस दिवस की सिख।।

यही है विजयादशमी और दशहरा का महत्व।

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दशहरा कैसे मनाया जाता है?

दशहरे के मौके पर रावण, कुंभकर्ण ( रावण के भाई), मेघनाद (रावण के पुत्र) के पुतले बनाये जाते है और शाम के समय उसको जलाए जाते है।

हिन्दु रीति-रिवाज के अनुसार, नौरात्री के नौ दिन नाटक रामलीला एवं अनेक रंगा रंग कार्यक्रम खेला जाता है।। जिसका अंत रावण के पुतले जलाने के बाद किया जाता है।

क्योंकि इसी दिन भगवान राम ने असत्य पर सत्य की विजय प्राप्त कर 14 वर्षों के वनवास के बाद अपने घर लौटे थे और माँ दुर्गा ने महिषासुर से मुक्ति दिलाई थी।

नवरात्र के दसवें दिन दशहरा पर्व मनाया जाता है। इसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। यह दशमी तिथि को पड़ता है इसलिए इसे विजयादशमी कहते हैं।

दशहरा 2022 में कब  है? (Dussehra 2022 Date in India)

दशहरा त्योहार 2022 में 5 October, बुधवार के दिन है।

Dussehra 2022 Puja Date & Time in India

अश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि का प्रारंभ – 4 अक्टूबर 2022,मंगलवार को दोपहर 2:20 से
दशमी तिथि समाप्ति – 5 अक्टूबर 2022, दोपहर 12:00
विजय मुहूर्त – 5 अक्टूबर 2022, बुधवार को दोपहर 2:07 से 2:54 तक रहेगा.

दशहरा की शुभकामनाएं 2022 | Dussehra Wishes in Hindi 2022

हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर दशहरा का उत्सव मनाया जाता है।

दशहरा को कहीं पर विजयादशमी या आयुधपूजा के नाम से भी जाना जाता है। बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है। 

दशमी तिथि पर भगवान राम ने रावण का वध  किया था जिसकी खुशी में  दशहरे का त्योहार मनाया जाता है।

बुराई का होता है विनाश,
दशहरा लाता है उम्मीद की आस,
रावण की तरह आपके दुखों का हो नाश,
यही हमारी विजयदशमी की शुभकामनायें

बाहर के रावण को जलाने से कुछ नही होगा,
मन के अंदर बैठे रावण को जरूर जलाएं
दशहरा की हार्दिक शुभकामनाए

त्याग दी सब ख्वाहिशें,
कुछ अलग करने के लिए,
राम ने खोया बहुत कुछ,
श्री राम बनने के लिए
दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं

दोस्तों आज हमने जाना दशहरा के बारे में Dussehra Kya Hai Kyon Manaya jata hai अगर मेरे द्वारा बताई गई जानकारी आपको अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के शेयर जरूर करे।

Chhath Puja kya hai छठ पूजा क्यों मनाया जाता है

Chhath Puja 2025 : दोस्तो आज हम बात करेंगे हिन्दुओ का महापर्व छठ पूजा के बारे में। हिन्दुयों का महापर्व छठ पूजा के बारे में जानेंगे।

छठ पूजा बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है और साल में 2 बार होने वाले इस पर्व को लोग बहुत ही धूम-धाम और विधि-विधान से मनाते हैं।

हिन्दुओ का महापर्व के बारे में बहुत से ऐसे व्यक्ति भी है जिनको इसके बारे में जानकारी नही है तो चलिय आज हम इस पर्व के बारे में अपने लेख में बताने जा रहे है कि ये Chhath puja kya hai, क्यो इस पर्व का इतना महत्व है, तथा इसके बारे में अनेको जानकारी को जानेंगे।

तो चलिये शुरू करते हैं, हिन्दू के इस महापर्व छठपूजा के बारे में ।

Chhath Puja Kya Hai Hindi

Chhath Puja Kya Hai (Chhath Puja in Hindi)

छठ एक हिंदूयो का महापर्व त्योहार है। छठ पूजा को षष्टी पूजा के नाम से भी जाना जाता है।।

छठ या षष्टी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के  षष्टी को मनाया जाने वाला हिंदू का पर्व है। यह लोकपर्व बिहार, झारखंड, पूर्वी उतर प्रदेश तथा नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाने वाला पर्व है, इस पर्व को सूर्य उपासना का लोकपर्व माना जाता है।

बिहारीयो का यह पर्व एक सांस्कृति है, कहा जाता है कि यह पर्व बिहारियो का महापर्व है।

यह एक मात्र ही बिहार या पूरे भारत का ऐसा पर्व है, जो वैदिक काल से चला आ रहा है,और बिहारियों का एक सांस्कृति बन चुका है।

छठ पूजा पर्व को अनेको नामो से जाना जाता है, छठ, सूर्य पूजा, उषा पूजा, छठी मैया पूजा, डाला पूजा, डाला छठ, तथा सूर्य षष्टी।

बिहार के इस पर्व को हिन्दू ही नही बल्कि इस्लाम सहित अन्य धर्मावली मनाते हुए देखे जा रहे हैं। धीरे-धीरे यह त्योहार प्रवासी भारतीयों के साथ-साथ पूरे विश्व मे प्रचलित हो गया है। इस पर्व में कोई मूर्ति पूजा शामिल नही है।

छठ पूजा का इतिहास (History of Chhath Puja in Hindi)

छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा बहुत ही विधि-विधान से किया जाता है।

छठ पूजा का प्रारंभ सतयुग में भगवान श्री राम, द्वापर में दानवीर कर्ण और 5 पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने सूर्य की उपसना की थी। छठी मैया से जुड़ी एक कथा प्रियवंद की है, जिसने सबसे पहले इस पूजा को किया था।

तो आइए आज हम जानते है,छठ पूजा के इतिहास और कथाएं के बारे में- 

1.  राजा प्रियवंद ने अपने पुत्र के प्राण रक्षा के लिए सबसे पहले छठ पूजा किया-

एक पौराणिक कथा के अनुसार प्रियवंद निःसंतान के वजह से बहुत दुःखी थे, तब उन्होंने महर्षि कश्यप से इसके लिए बात किये,फिर कश्यप के बात के अनुसार प्रियवंद पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। उस दौरान यज्ञ में आहुति देने के लिए जो खीर बनाया गया उसको अपने पत्नी मलिनी को खिलाई, जिस से पुत्र की प्राप्ति तो हुई, पर वह मरा हुआ था।

इससे राजा दुखी हो कर अपने प्राण त्यागने चले, तो उसी समय ब्रह्मा की पुत्री देवसेना प्रकट हुई।।और उसने राजा से बोली मैं सृष्टि की मूल प्रविर्ती के छठे अंश से उत्पन्न हुई हु, इसलिए मेरा नाम षष्टि है। तुम मेरा पूजा तथा लोगो में मेरा प्रचार-प्रसार करो। राजा में ठीक वैसा ही विधि-विधान से कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष षष्टि को किया, जिसके कारण उसे पुत्र की प्रप्ति हुई ।

2.  रावण का वध कर लंका से लौटने के बाद राम और सीता ने भी सूर्य देव की पूजा और उपासना की थी।

3. द्रौपदी ने भी 5 पाण्डव के अच्छा स्वास्थ्य और सुखी जीवन के लिए सूर्य देव की उपासना और पूजा की थी,उसके परिणाम स्वरूप खोया हुआ राजपाठ भी पांडवों को मिला।

4.  दानवीर कर्ण सूर्य के पुत्र थे, तथा वे प्रितिदिन सूर्य की उपासना करते थे।

छठ पूजा सूर्य, उषा, प्रकृति,जल, वायु और उनकी बहन छठी म‌इया को समर्पित है, छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्टि को मनाया जाता है।

छठ पूजा क्यों मनाया जाता है (How Chhath Puja is Celebrated)

भारत की संस्कृति का एक अहम पर्व है छठ पर्व।

भारत मे ऐसे कितने पर्व है, जिन्हें कठिन पर्व माना जाता है और उसी में से एक पर्व छठ पर्व है। छठ को सिर्फ पर्व नही बल्कि महापर्व कहा जाता है।

कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली मनाने के तुरंत बाद इस चारदिवसिये पर्व को मनाना बहुत कठिन होता है,और सबसे महत्वपूर्ण रात्री कार्तिक शुक्ल षष्टि की होती है, इसी कारण इस व्रत का नाम छठी व्रत हो गया।

छठ पर्व साल में दो बार मनाया जाता है, पहली चैत तथा दूसरी कार्तिक में, चैत शुक्ल पक्ष षष्टि को मनाया जाने वाला पर्व चैत छठ तथा कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्टी को मनाया जाने वाला को कार्तिक छठ से जाना जाता है।

मार्कण्डेय पुराण में इस बात का उल्लेख है कि सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकीर्ति देवी  ने अपने आप को छह भागों में विभक्त किया, और इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी के रूप में जाना जाता है, जो ब्रह्मा की मानस पुत्री और बच्चों की रक्षा करने वाली देवी हैं.।

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनसा देवी की पूजा की जाती है. बच्चे के जन्म के बाद इन्हीं देवी की पूजा करके बच्चे के स्वस्थ, सफल और दीर्घ आयु की प्रार्थना की जाती है. 

पुराणों में इन्हीं देवी का नाम कात्यायनी मिलता है। इस पर्व को पूरे मन से करने से जो चाहे सारे फल मिलते हैं।

छठ पूजा एक सांस्कृतिक पर्व है जिसमें घर परिवार की सुख समृद्धि के लिए व्रती सूर्य की उपासना करते हैं।

छठ पूजा कब है? (Chhath Puja Date 2025)

कार्तिक छठ पर्व 2025

28 अक्टूबर 2025, शुक्रवार : नहाय खाय से छठ पूजा का प्रारंभ।

29 अक्टूबर 2025, शनिवार: खरना

30 अक्टूबर 2025, रविवार -छठ पूजा, डूबते सूर्य को अर्घ्य।

31 अक्टूबर 2025, सोमवार, उगते हुए सूर्य को अर्घ्य, छठ पूजा का समापन, पारण का दिन

जबकि

2025 में चैती छठ पर्व

05 अप्रैल 2025, मंगलवार – नहाय-खाये

06 अप्रैल 2025, बुधवार – खरना

07 अप्रैल 2025 ,गुरुवार – निखण्ड, डूबते सूर्य का अर्घ्य

08 अप्रैल 2025, शुक्रवार – पारणा, उगते सूर्य का अर्घ्य

छठ पूजा कब मनाया जाता है? (When is Chhath Puja Celebrated)

छठ पूजा साल में 2 बार मनाया जाता है एक चैत्र माह तथा दूसरा कार्तिक माह में मनाया जाता है।

चैत्र में मनाया जाने वाला पर्व को चैती छठ तथा कार्तिक में मनाया जाने पर्व को कार्तिक छठ के नाम से जाना जाता है।

छठ पर्व पूरे 4 दिनों का होता है, इसमें महिलाये 36 घंटे का व्रत रखती है, इस पर्व को सिर्फ महिला ही नही बल्कि पुरूष भी करते है।

पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि छठी मैया संतानों की रक्षा करती है,और उन्हें दीर्घायु प्रदान करती है।

छठ पूजा व्रत विधि (Chhath Puja Vrat Vidhi)

कहा जाता है कि चैत शुक्ल पक्ष की षष्टी चैत छठ तथा कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्टि कार्तिक छठ कहा जाता है।

यह पर्व सूर्यदेव की उपासना के लिए प्रसिद्ध है, छठ देवी सूर्य देव की बहन है, इसलिए छठ पर्व पर देवी को प्रसन्न करने के लिए सूर्य देव की को प्रसन्न किया जाता है।  यह पर्व गंगा-यमुना या किसी भी नदी के तट पर किया जाता है।

फिर प्रथम दिन चतुर्थी तिथि को नाहा खा के रूप में मनाया जाता है, उसके बाद वाला दिन पंचमी को खरना के रूप में मनाया जाता है, इस दिन शाम को ख़िर रोटी और फल का सेवन किया जाता है। और अगले 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखते है।

छठ पूजा की अहम तिथि षष्टि को नदी या जलाशय के तट पर उदीयमान सूर्य को अर्द्ध समर्पित कर पर्व का समापन करते हैं।

1. छठ पर्व को मंदिरों में पूजा नहीं की जाती है और ना ही घर में साफ-सफाई की जाती है।

2. छठ पर्व से दो दिन पहले चतुर्थी पर स्नानादि से निवृत्त होकर यानी स्नान करने के बाद ही भोजन किया जाता है।

3. पंचमी को उपवास करके संध्याकाल में स्नान करने के बाद खीर-और रोटी तथा फल से अर्द्ध दिया जाता है।

4. षष्ठी के दिन निर्जल प्रात:काल स्नानादि के बाद संकल्प लिया जाता है।

 संकल्प लेते समय इन मंत्रों का उच्चारण करें। 

 ॐ अद्य अमुक गोत्रो अमुक नामाहं मम सर्व    पापनक्षयपूर्वक शरीरारोग्यार्थ श्री   सूर्यनारायणदेवप्रसन्नार्थ श्री सूर्यषष्ठीव्रत करिष्ये।

5. पूरा दिन निराहार और  निर्जल रहकर नदी या तालाब पर जाकर स्नान किया जाता है, और सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है।

6. अर्घ्य देने की  एक विधि होती है। एक बांस के सूप में केला एवं अन्य फल, अलोना प्रसाद, या अन्य परसाद जो भी हो ईख आदि रखकर उसे पीले वस्त्र से ढंक दें। उसके बाद दीप जलाकर सूप में रखें और सूप को दोनों हाथों में लेकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए तीन बार अस्त होते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें।

ॐ एहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते

अनुकम्पया मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर:

छठ व्रत कथा (Chhath Vrat Katha in Hindi)

छठ पर्व का कथा यह है कि जब पांडव अपना सारा राज पाठ जुआ में हार गए थे, तब द्रौपदी ने छठ वर्त का पाठ रखा, और उनकी इस व्रत से सारा राज-पाठ वापस मिल गया। लोकपरंपरा के अनुसार सूर्यदेव और छठी मैया का भाई-बहन का संबंध है।

प्रियवंद और मालिनी की कहानी भी छठ वर्त पर ही है जब प्रियवंद को कोई संतान नही हुआ तो वो बहुत दुखी रहते थे, जिसके बाद महर्षि कश्यप के कहने के अनुसार उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ भी कराए जिसके आहुति का खीर अपने पत्नी को खिला के पुत्र का प्राप्ति भी किये। पर वह पुत्र मारा हुआ जन्म लिया जिसपर प्रियवंद पुत्र वियोग में प्राण त्यागने जा रहे थे

तब भगवान की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुई और राजा से बोली हे राजन मैं सृष्टि के छठे अंश से उत्पन्न षष्टी हु। हे राजन तुम मेरी पूजा करो और अन्य लोगो को इसके बारे में बता कर प्रेरित करो,राजा ने उनकी बात मान कर पूरी निष्ठा से उनका व्रत किया जिससे उसे पुत्र की प्राप्ति हुई। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्टि को हुई थी।

इसके बाद रावण का वध कर जब राम और सीता लंका से लौटे तो उन्होंने भी इस पर्व को किया ।

तब से यह परंपरा चली आ रही है, सदियों से छठ पूजा का व्रत किया जाता है, तथा इस पर्व के करने से संतान को सुख की प्राप्ति होती है।

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छठ पूजा का महत्व (Importance of Chhath Puja in Hindi)

छठ महापर्व का महत्व बहुत ज्यादा है, यह व्रत सूर्य भगवान, उषा, प्रकृति, जल, वायु आदि को समर्पित है । 

यह पर्व करने से निःसंतान को संतान की प्राप्ति होति है।

कहा जाता है कि इस पर्व में छठ व्रत करने से संतान की रक्षा और उनके जीवन मे ख़ुशहाली का आगमन होता है, तथा सारे संकट क्लेश से उनका रक्षा छठी मैया करती है।

शुक्ल पक्ष के षष्टि तिथि को की गई ,इस पूजा का संबंध संतान के सुख और लम्बी उम्र के कामना के लिए किया जाता है। 

छठ पूजा के दौरान सूर्यदेव और षष्टि की की गई  पूजा से संतान की सुख और उसके आयु दोनों का वरदान मिलता है इसलिए इस पर्व को महिलाये अपने पुत्र प्राप्ति तथा उसके ऊपर आये संकट से बचाने के लिए करती है।

कहा जाता है कि छठ पर्व का आरंभ महाभारत काल मे ही हुआ था, कहा जाता है कि सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने इस पूजा की सुरुआत की । कहा जाता है कि प्रतिदिन घंटो कमर तक पानी मे खरा रहकर सूर्य की पूजा करते थे, एवं उनको अर्द्ध देते थे। सूर्यनारायण की कृपा और तेज से ही वह एक महान योद्धा बने। इसलिए आज भी छठ पूजा में सूर्य को अर्ध देने का परंपरा है।

छठ पूजा को बिहार के साथ-साथ पूरे देश के कई हिस्सों में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, इस पर्व में वैदिक आर्य संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। 

इस पर्व को संतान के सुख और इसके लम्बी आयु के लिए किया जाता है। इस पर्व को सिर्फ महिलाये ही नही बल्कि पुरुष भी करते है।

तो चलिय दोस्तो आज हमने जाना छठ पर्व 2025(Chhath Puja) के बारे में यह हिन्दुयों का एक महापर्व है, जो बिहार के साथ-साथ अन्य देशों के कई हिस्सों में मनाया जाता है, इस पर्व को सिर्फ हिन्दू ही नही बल्कि अनेको धर्म के लोग भी मनाते है।

अगर इस लेख में मेरे द्वारा बताए गए जानकारी आपको अच्छा लगा हो तो दूसरे दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे, जिस से उनको भी इस महापर्व के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त हो सके। धन्यवाद।

YouTube Se Paise Kamane Ka Tarika

वैसे तो ऑनलाइन पैसे कमाने का बहुत सारे विकल्प मौजूद है पर उनमे से कुछ ही विकल्प सबसे अच्छे है इन अच्छे विकल्प में यूट्यूब का नाम सबसे ऊपर आता है जो की बिलकुल सही और अच्छा ऑनलाइन इनकम करने कर जरिया है. पर सवाल ये आता है की YouTube Se Paise Kamane Ka Tarika क्या है? यूट्यूब से पैसे कैसे कमाए जाते है ?

क्या आप के मन में भी यही सवाल है ? तो परेशां होने की बात नहीं है. 

आज के इस लेख में हम आपको बताने जा रहे है यूट्यूब चैनल से पैसे कमाने का तरीका वो भी स्टेप बी स्टेप जिससे आप आसानी समझ पाएंगे.

तो चलिए जानते है यूट्यूब से कमाने कर तरीका क्या है कैसे YouTube से ऑनलाइन इनकम कर सकते है. कैसे YouTube से घर बैठे कमाई कर सकते हैं?

YouTube Se Paise Kamane Ka Tarika in Hindi(Step by Step Guide.)

सबसे पहले रिसर्च करे.

अगर आप यूट्यूब चैनल बनाने की सोचा है तो सबसे पहले ये सोचे की आपका चैनल किस टॉपिक पर होगा. किस तरह का कंटेंट आप अपने चैनल पर अपलोड करेंगे. 

अगर आप बिना सोचे और रिसर्च किये हुए है चैनल बनायेगे तो आप कुछ समय में क्विट कर देंगे और इससे आपको कोई फायदा नहीं होगा. 

इसलिए सबसे पहले रिसर्च करे और अपने इंटरेस्ट के हिसाब से टॉपिक चुने और प्लान बना कर अपना चैनल शुरू करे.

अपने Skill को पहचानें

यूट्यूब पर कंटेंट डालने से पहले आप अपने टैलेंट को पहचानने की कोशिश करे. 

ये तय कर ले की मुझ किस तरह की वीडियो अपलोड करनी है. तय करने के बाद आप आप यूट्यूब पर अपना चैनल बनाये.

 यूट्यूब पर चैनल आप एक ईमेल अकाउंट का उपयोग कर शुरू कर सकते है.

अपना यूट्यूब चैनल बनाये.

आप आपको पता है की आप किस तरह के टॉपिक पर वीडियो बनाने वाले है . आपको किस तरह का कंटेंट शेयर करना है तो उसी के हिसाब आप अपने चैनल का एक नाम सोच ले की क्या रखना है. 

सबसे पहले अपने जीमेल आईडी से यूट्यूब पर लॉगिन करे. 

दायी तरफ सबसे ऊपर अकाउंट का ऑप्शन रहता है उस पर क्लिक करे. 

अब वह पर माय चैनल ऑप्शन पर क्लिक कर अपने चैनल का नाम जो आपने तय किया है वो दे. 

नाम हमेशा यूनिक रखने की कोशिश करे जो पहले से यूट्यूब पर पॉपुलर न हो . इसके साथ ही ऐसे नाम रखे जो बोलने में आसानी हो और सुन कर आसानी से याद हो जाये.

चैनल की सेटिंग्स करे.

अपने चैनल का सही नाम रखे जो आपके टॉपिक से ज़ुरा हो. साथ ही अपने चैनल का डिस्क्रिप्शन लिखे जिससे ऑडियंस को ये पता चल सके आपका चैनल किस बारे में है. 

इसके अलावा अपने चैनल की लिए लोगो और चैनल आर्ट बनाये और उससे अपने चैनल पर अपलोड कर सेट करे जिससे अपने चैनल का डिज़ाइन अच्छा लगेगा.

इसके साथ ही अपने चैनल से जुड़े सभी सोशल मीडिया प्रोफाइल या चैनल का लिंक यूट्यूब पर अपडेट करे जिससे आपके अपने सोशल हैंडल से आपके ऑडियंस आसानी से जुड़ सके.

यूनिक आइडिया पर करें काम

यूट्यूब पर हर दिन लाखो और करोड़ो में वीडियो अपलोड होते है तो अगर आप चाहते है की लोग आपके कंटेंट को देखे आपके वीडियो को पसंद करे तो उसके लिए आपको यूनिक कंटेंट आइडियाज लाना होगा. 

आप यूनिक और क्वालिटी कंटेंट बना कर अपने वीडियोस पर व्यूज ला सकते है और लोग आपके चैनल को पसंद करेंगे. 

साथ ही अपने वीडियो और वीडियो के ऑडियो क्वालिटी को भी अच्छा रखे जिससे ऑडियंस आपके कंटेंट को आसानी से समझ सके क्यूंकि जब आपकी बाते समझ आएगी सभी को तभी आपके कंटेंट को ऑडियंस पसंद करेगी और आपका चैनल ग्रो होगा.

ज्यादा से ज्यादा वीडियो अपलोड करें 

जब आप चैनल शुरू कर लिए और आपको पता चल चूका है की आपको किस तरह का कंटेंट बनाना है तो अब आप जायदा से जायदा बना कर अपलोड करना शुरू करे. 

अगर आप अपने यूट्यूब चैनल से कमाने की सोचते है तो काम से काम हफ्ते में एक से दो वीडियो अपलोड करते रहे.  

जायदा वीडियो अपलोड और रेगुलर टाइम से अपलोड करने से आपके वीडियो पर व्यूज आने के चांस बढ़ जाते है.  वीडियो बनाते समय कॉपीराइट कंटेंट का उसे करने से आपको बचना है. साथ ही यूट्यूब के टर्म एंड कंडीशन को भी ध्यान में रखते हुए कंटेंट बनाये ताकि आगे कोई समस्या न हो.

व्यूज कैसे लाये ?

अपने चैनल पर वीडियो अपलोड करते समय टाइटल को अच्छा से अच्छा लिखे जो काटच्य हो साथ ही मेटा डिस्क्रिप्शन में अपने कीवर्ड को लिखे जिसके लिए आप चाहते है की आपका वीडियो सर्च करने पर आये और साथ ही टैगिंग सेक्शन में अपने कीवर्ड्स जिन पर आप अपने वीडियो को रैंक करना चाहते है उन्हें लिखे. 

टैग सेक्शन में जायदा से जायदा कीवर्ड्स जो उस टॉपिक से ज़ुरा है उसका इस्तेमाल करे. ऐसा करने से आपके वीडियो का रैंक होने का चांस बढ़ता है और इससे आपके वीडियो पर व्यूज भी अधिक आएंगे.

यूट्यूब से कमाई कैसे होगी ? यूट्यूब से कमाई के लिए क्या है जरूरी?

कुछ समय पहले ही यूट्यूब ने अपनी पॉलिसी में बदलाव किया था. 

पहले यूट्यूब पर कमाई के लिए न्यूनतम 10 हजार व्यूज चाहिए होते थे, लेकिन नई पॉलिसी में ऐसा नहीं है. 

नयी पालिसी के तहत अब पिछले 12 महीनों में आपके चैनल पर वीडियोज कम से कम 4 हजार घंटे तक का प्ले होने चाहिए. इसके अलावा आपके कम से कम 1 हजार सब्सक्राइबर्स होने चाहिए. इन दोनों कंडीशन को पूरा करने के बाद ही आप यूट्यूब के जरिए अपने चैनल से कमाई के योग्य होंगे.

हर वीडियो को मोनेटाइज करें 

यूट्यूब से चैनल मोनेटाइजेशन का अप्रूवल मिलने के बाद आपको अपने हर वीडियो में मॉनेटाइजेशन इनेबल करना होगा. 

एडिट वीडियो ऑप्शन में मोनेटाइजेशन टैब में जाकर इसे इनेबल करे. मोनेटाइजेशन टैब इनेबल होगा, तब ही आपके वीडियो कमाई कर सकेंगे.

बैंक डिटेल्स शेयर करनी होंगी

मोनतीज़ेशन का अप्रूवल मिलने के बाद गूगल एडसेंस की वेबसाइट पर जाएं. यहां अपनी ईमेल आईडी से लॉग इन करें और अपनी बैंक डिटेल, एड्रेस या दूसरी जानकारी अपडेट करें. 

गूगल एक पिन आपके एड्रेस पर भेजता है जो एड्रेस आप देते है. उस पिन को लेकर अद्सेंसे अकाउंट में लॉगिन कर उससे वेरीफाई करना होता है. इससे आपका एड्रेस वेरीफाई हो जाता है.

ऐसा करने के बाद ही गूगल पेमेंट जारी करता है.

यूट्यूब आपको पहली पेमेंट तब ही भेजेगा, जब आप अपने वीडियोज के जरिए कम से कम 100 डॉलर कमा लेंगे जो की अद्सेंसे का मिनिमम पेमेंट थ्रेशहोल्ड है.

जैसे ही आपके अद्सेंसे अकाउंट में 100 डॉलर पुरे हो जाएंगे, गूगल आपको भारतीय करेंसी में 100 डॉलर भेजेगा, जो करीब 7,442.65 रुपए होगा 

मार्केटिंग/स्पॉंशरशिप के जरिए भी कमाई

एक sponsored वीडियो तब होता है जब कोई कंपनी अपेक्षाकृत बड़े Youtuber से संपर्क करती है और उनसे अपने प्रोडक्ट्स को प्रमोट करने के लिए कहती है कंपनी अपने प्रोडक्ट्स को प्रमोट करने के लिए यूटूबेर को पैसे देती है. 

यूटूबेर अपनी वीडियो में कंपनी के प्रोडक्ट्स के बारे में बात करता है उसके बारे अपने ऑडियंस को जानकारी देता है और इसी के एवज में उससे कंपनी के तरफ से पैसे मिलते है. 

पैसा कितना मिलता है ये इस बात पर निर्भर करता है की चैनल का निचे कौन सा है और साथ ही चैनल की ऑडियंस कितनी है.

यूट्यूब 45:55 के रेशियो में बांटता है प्रॉफिट

यूट्यूब चैनल से जो भी कमाई होती है, उसका 45 फीसदी हिस्सा यूट्यूब अपने पास रखता है और शेष 55 फीसदी आपके पास आएगा. 

यह कमाई आपके चैनल पर विज्ञापन दिखाया जाता है उसके जरिए होती है. 

YouTube Se Paise Kaise Kamaye FAQs

क्या यूट्यूब से पैसे कमाए जा सकता है?

जी हाँ, आप यूट्यूब से पैसे कमा सकते है.

यूट्यूब पर चैनल बनाने के लिए पैसे भी लगता है?

नहीं, ये बिलकुल फ्री है.

यूट्यूब पर चैनल बनाने के लिए क्या चाहिए?

यूट्यूब पर चैनल के लिए सिर्फ एक जीमेल अकॉउंट की जरुरत होती है.

Conclusion 

दोस्तों उम्मीद है इस ब्लॉग से आप पूरी तरह से जान गए होंगे की यूट्यूब चैनल से पैसे कमाने का तरीका क्या है यूट्यूब से पैसे कैसे कमाए जाते है कैसे आप यूट्यूब चैनल बना कर घर बैठे इंटरनेट की मदद से ऑनलाइन इनकम कर सकते है. 

अगर आपको ये आर्टिकल अच्छी लगी हो तो इससे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूले. इस पोस्ट से ज़ुरा कोई सवाल या सुझाव आपके मैं में हो हो तो कमेंट सेक्शन में लिख हमे जरूर बताये.

Guru Purnima Kya Hai क्यों मनाई जाती है

गुरू पूर्णिमा 2022–  आज हम अपने लेख में बात करेंगे गुरु पूर्णिमा के बारे मे। गुरु पूर्णिमा  का महत्व सनातम धर्म मे बहुत ही खास है।

चलिय आज हम बात करते है Guru Purnima Kya Hai गुरु पूर्णिमा क्यो मनाया जाता है तथा इसका क्या महत्व है।

आज हम अपने लेख में विस्तार से जानेंगे आखिर गुरु पूर्णिमा होता क्या है, तथा इसको क्यो मनाया जाता है।

सनातन धर्म मे गुरु पूर्णिमा का एक खास महत्व है,,इस दिन गुरुओं की पूजा एवं उनका सम्मान करने का परम्परा है।

तो चलिय हम बात करते है गुरु पूर्णिमा की।

Guru Purnima Kya Hai

गुरु पूर्णिमा क्या है (What is Guru Purnima in Hindi)

गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु का खास दिन होता है, इस दिन सनातन धर्म से गुरु का गुरु पूर्णिमा के दिन एक खास महत्व है, इस दिन गुरुओ की पूजा करना तथा उनका सम्मान करने का परंपरा है।

गुरु पूर्णिमा उन सभी आध्यात्मिक और अकादमिक गुरुजनो को समर्पित परम्परा है जिन्होने कर्म योग आधारित व्यक्तित्व विकास और पबुद्ध बहुत ही कम खर्च या बिना किसी मौद्रिक खर्च के अपने सुविचार को दूसरे के प्रति साझा करने के लिए तैयार हो।

गुरु पूर्णिमा त्योहार को भारत, भूटान, और नेपाल में हिन्दू,जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायी उत्सव के रूप में मनाते है।

आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि इस दिन सनातन धर्म के पहले गुरु महार्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था।

गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर शिष्य अपने गुरुओ की पूजा करते है। गुरु पूर्णिमा के दिन सभी गुरूयो के साथ भगवान विष्णु और भगवान बृहस्पति की भी पूजा को जाती है।

कहा जाता है कि ब्रमर्षि वेदव्यास ने ही वेदो का ज्ञान दिया था। इन्ही कारणों से सनातन धर्म मे इनको आदि गुरु का दर्जा प्राप्त है।

गुरु पूर्णिमा कब मनाया जाता है?

गुरु पूर्णिमा अषाढ़ मास के पूर्णिमा को हर साल मनाया जाता है। क्योंकि इसी दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, जिन्होने वेदो का चार भागों में विभाजन किये थे।

मनुष्य के चारो वेदो के ज्ञान देने वाले महर्षि वेदव्यास का जन्म अषाढ़ मास के पूर्णिमा के दिन हुआ था तब से उस दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाने लगा।

महर्षि वेदव्यास ने वेदों को 4 खंडों में बंटा जो इस प्रकार है 

ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद

गुरु पूर्णिमा 2022 में कब है?

गुरु पूर्णिमा 2022 में 13 जुलाई बुधवार के दिन है।

गुरु पूर्णिमा मनाया जाना उचित होगा।

गुरु पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 13 जुलाई दिन बुधवार को प्रात: काल 04:00 बजे से

गुरु पूर्णिमा तिथि समापन – 14 जुलाई दिन की रात 12 बजकर 06 मिनट पर

गुरु पूर्णिमा कौन से माह में मनाई जाती है?

यह पर्व हिन्दू पंचाग के हिन्दू माह आषाढ की पूर्णिमा को हर साल मनाया जाता है।

गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है 

गुरु पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है

गुरु पूर्णिमा को पूरे भारतवर्ष में बहुत ही श्रद्धा से मनाया जाता है। हिन्दू धर्म मे गुरु की बहुत महता बहुत बताई गई है, गुरु का स्थान समाज मे सर्वपरि बताया गया है।

गुरु चमकते हुए उस चांद की तरह होता है जो अंधेरे में रौशनी देकर पथ-प्रदर्शन करता है। गुरु के समान कोई नही है क्योकि गुरु भगवान तक जाने का रास्ता दिखाते है।

इस पर कबीर ने गुरु का गुणगान करते हुए अपने दोहे में गुरु के महिमा को ऐसे गुणगान करते है- 

गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय।

बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।

इसके अलावा संस्कृत के प्रसिद्ध श्लोक में गुरु को परम ब्रह्म बताया गया है –

गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। 

गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥ 

गुरु पूर्णिमा मनाने का मुख्य कारण यह है कि इसी दिन अषाढ़ मास के पूर्णिमा को चारो  वेदो का ज्ञान देने वाले महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। तब से इस दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।

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गुरु पूर्णिमा की कहानी

अषाढ़ मास के पूर्णिमा के दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ तब से गुरु पूर्णिमा इस दिन को मनाया जाता है, कहा जाता है कि इस दिन वेदव्यास जी ने अपने शिष्यों एवं मुनियों को सर्वप्रथम श्री भागवतपुराण का ज्ञान दिया था।

पौराणिक कथा के अनुसार वेदव्यास भगवान विष्णु के अंश कलावतार है। इनके पिता ऋषी पराशर तथा माँ का नाम  सत्यवती था।

वेदव्यास को बचपन से ही अघ्यात्म में रुचि थी, इसलिए इनहोनो वन में जाकर तपस्या तथा देव दर्शन की इच्छा प्रकट किए।

इनहोने जब अनुमति मांगी तो माँ ने ठुकरा दिए तब इनहोनो हट कर लिया तो माँ ने जाने की अनुमति दे दी।

इनके कठिन त्याग और तपस्या से वेदव्यास को संस्कृत भाषा मे प्रवीणता प्राप्त हुआ।

इसके बाद वेदव्यास ने वेदो का विस्तार किया, और महाभारत, अठारह महापुरनो सहित बरमसूत्रो की रचना किये। इन्हें बादरायण भी कहा जाता है।

गुरु पूर्णिमा का महत्व

धार्मिक ग्रंथो और पुराणों के अनुसार बताया गया है कि जैसे व्यक्ति किसी इच्छा प्राप्ति के लिए भगवान से प्राथना करता है ठीक वैसे ही जीवन मे सफलता पाने के लिए गुरु  की सेवा और भक्ति करना चाहिए।

साथ ही गुरु प्राप्ति के लिये, गुरु की सेवा,बात और गुरु का इज्जत करने में हमेशा प्रयत्नशील रहना चाहिए, गुरु को हमेशा खुश रखना चाहिए, उनके हिर्दय को कभी दुखाना नही चाहिये क्योंकि गुरु ही शिष्य के जीवन को अंधकार से मिटाकर प्रकाश फैलता है । अतः गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है।

गुरु पूर्णिमा का पर्व कैंसे मनाया जाता है?

गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान ध्यान कर के भगवान विष्णु और भगवान शिव का पूजा करना चाहिए। इसके बाद महर्षि वेदव्यास जी की पुजा किया जाता है।। क्योंकि इनके जन्मदिन के दिन ही गुरु पूर्णिमा मनाया जाता है।

गुरु पूर्णिमा के दिन जरूरतमंद आदमी को पिले अनाज, पिला वस्त्र, तथा पिला मिठाई का दान करना चाहिए, इससे आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है।

इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना तथा जरूरतमंद आदमी को अन्न-वस्त्र इत्यादि दान करना चाहिए, इससे कुंडली का गुरु-दोष भी समाप्त होता है।

इस दिन कुमकुम के घोल से मंदिर के बाएँ एवं दाएं ओर स्वस्तिक का निशान बनाय तथा दिकप जलाये। ऐसा करने से घर का कलेश दूर होता है।

इस दिन अपने घर के प्रवेश द्वारा को आम के पते और मालाओ से सजाया जाना चाहिए, तथा इसके साथ इस दिन सूखे मेवे, फल, चावल के व्यंजन, पान के पत्ते और दूध दलिया देवताओं को अर्पित किए जाते हैं।

गुरु पूर्णिमा पर शिष्य को अपने गुरु का सम्मान करते हुए उन्हें यथा शक्ति गुरु दक्षिणा प्रदान करना चाहिए।

गुरु पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए

इस दिन गुरु पूजन का विधान है, वैसे तो पूरे देश मे अनेकों विद्वान है पर जो चारो वेद के विख्याता महर्षि वेदव्यास का आज पूजन दिवस है।

गुरु पूर्णिमा के दिन :

* सुबह घर की सफाई, स्नानादि नित्य कर्म से निवृत्त होकर साफ-सुथरे वस्त्र धारण करना।

* घर के किसी पवित्र स्थान पर  सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर 12-12 रेखाएं बनाकर व्यास-पीठ बनाना चाहिए।

* फिर ‘गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये’ मंत्र से पूजा का संकल्प लेना है।।

* फिर दसों दिशाओं में अक्षत छोड़ना चाहिए।

* फिर व्यासजी, ब्रह्माजी, गोविंद स्वामीजी और शंकराचार्यजी नाम के मंत्र से पूजा का आवाहन करना चाहिए।

* फिर अपने गुरु अथवा उनके चित्र की पूजा करना चाहिए, तथा  उन्हें यथा योग्य दक्षिणा देना चाहिए।

* इस दिन वस्त्र, फल, फूल व माला अर्पण कर गुरु को प्रसन्न करके उनका आशीर्वाद लेना  चाहिए।

* गुरु का आशीर्वाद सभी-छोटे-बड़े तथा सब  विद्यार्थी के लिए कल्याणकारी तथा ज्ञानवर्द्धक होता है।

* इस दिन केवल गुरु (शिक्षक) ही नहीं, बल्कि अपने माता-पिता, बड़े भाई-बहन आदि की भी पूजा का विधान है।

गुरु पूर्णिमा किसकी पूजा करते हैं?

गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह नित्य क्रिया से निविरत होकर स्नान करने के पश्चात भगवान विष्णु और शिवजी का पूजन करना चाहिए और उसके बाद महर्षि वेदव्यास की पूजा की जाती है।

गुरु पूर्णिमा क्यों मानते है?

गुरुपूर्णिमा महर्षि वेदव्यास के सम्मान में अषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन वेदव्यास जी ने शिष्यों तथा मुनियों को सर्वप्रथम भागवतपुराण के बारे में जानकारी दी थी। इसलिए इस दिन को गुरुपूर्णिमा दिवस मनाया जाता है।

हमारे देश मे गुरुओ का बहुत सम्मान किया जाता है,,क्योंकि एक गुरु ही है जो शिष्य को गलत मार्ग से हटाकर सही रास्ते पर चलना सिखाते है।

गुरु पूर्णिमा मनाने का सबसे प्रमुख कारण यह भी है की इसी दिन महाभारत,ब्रह्मसूत्र, भागवतपुराण और अठारह पुराण जैसे अद्भुत साहित्यों की रचना करने वाले जन्म हुआ था।

गुरु के बिना शिष्य के जीवन का कोई अर्थ नही है।। रामायण से लेकर महाभारत तक गुरु का स्थान सबसे ऊपर है। गुरु की महानता को देखते हुए कबीरदास ने अपने दोहा में बताया कि

“गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाये, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलाये।”

  यानी एक गुरु का स्थान भगवान से भी कई गुना  ऊंचा होता है।। 

गुरु पूर्णिमा महर्षि वेदव्यास के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है, जो ऋषी पराशर के पुत्र थे। शास्त्रो के अनुसार महर्षि वेदव्यास को तीनों कालो का ज्ञाता माना जाता है, इसलिए इस दिन को गुरुपूर्णिमा मनाया जाता है।

तो दोस्तो आज हमने जाना गुरु पूर्णिमा के बारे में, गुरु पूर्णिमा क्यो मनाया जाता है तथा इसके बारे में अनेकों जानकारी इस लेख में हमने बताई

अगर मेरे द्वारा बताए गए जानकारी से आप संतुष्ट हो आपको अच्छा लगे तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूले। अपने को जरूर बताएं जिस से सभी को इसके बारे में जानकारी मिल सके। धन्यवाद।

Krishna Janmashtami Kyon Manate Hai | जन्माष्टमी कब है 2025 में

जन्माष्टमी पर्व बरे ही धूम धाम से मनाया जाता है और हर साल इस दिन को लोग बरे हर्षा और उल्लास के साथ मनाते है पर बहुत सरे लोगो को ये नहीं पता होता है की Krishna Janmashtami Kyon Manate Hai और इससे कैसे मानना चाहिए. 

अगर आपको भी नहीं पता है की जन्माटष्ट्मी कैसे मनाया जाता है तो इस पोस्ट में आपको पूरी जानकारी मिलने वाली है.

आज हम बात करते है, जनमाष्टमी के बारे में। कृष्णजन्माष्टमी हिन्दुओ का एक पावन त्योहार है। 

आज हम अपने लेख में जनमाष्टमी के बारे विस्तार से जानेंगे, तो चलिए शुरू करते है, क्यों भारत ही नही बल्कि विदेशों में भी इस पर्व का इतना महत्व है ।

Krishna Janmashtami Kyon Manate Hain

Janmashtami Ka Itihaas

भगवान श्री कृष्ण जो की विष्णु के आठवे अवतार थे कृष्णजन्माष्टमी उनका जनमोत्सव है। योगेश्वर कृष्ण के 

जन्माष्टमी को भारत में हीं नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं।

अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपना अवतार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि में मथुरा में जन्म लिए।

इसलिये भगवान श्री कृष्ण स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे। अत: इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं।

इस पावन पर्व के मौके पर भगवान की मोहक छवि देखने के लिए दूर दूर से श्रद्धालु इस दिन पर मथुरा पहुंचते हैं।

श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर मथुरा कृष्णमय हो जाता है। मंदिरों को खास तौर पर सजाया जाता है। ज्न्माष्टमी के दिन स्त्री-पुरुष बारह बजे तक अपना व्रत रखते हैं। 

इस शुभ दिन पर मंदिरों में झांकियां सजाई जाती है और भगवान कृष्ण को झूला झुलाया जाता है। और साथ ही रासलीला का भी आयोजन किया जाता है.

Janmashtami Ka Mahatva

माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से व्रत करने पर भक्तों की मनोकामना पूरी होती हैं। 

जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर होता है अगर वो लोग इस दिन पूजा करते हैं तो उन्हें अच्छे फल की प्राप्ति होती है। साथ ही इस व्रत को करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति और संतान प्राप्ति के साथ-साथ दीर्घायु भी होती है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, जनमाष्टमी के दिन बाल गोपाल को झूला झुलाने का भी बहुत ज्यादा महत्व है। 

लोग मंदिरों के साथ-साथ अपने घरों में भी बाल गोपाल को झूला-झूलाते हैं। कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति कृष्ण जी को झूला झुलाता है तो उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

Krishna Janmashtami Kyon Manate Hai

श्रीकृष्ण ने अपना अवतार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को अत्याचारी कंश का विनाश करने के लिए मथुरा में जन्म लिया। 

इसलिये भगवान स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे, अत: इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। 

इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती है और भगवान कृष्ण को झूला झुलाया जाता है।

श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। इनका जन्म देवकी और वासुदेव के पुत्र के रूप में मथुरा में हुआ था

उन्होंने मथुरावासियों को निर्दयी कंस के शासन से मुक्ति दिलाई ।

इतना ही नहीं महाभारत के युद्ध में पांडवों को जीत दिलाने में भी अहम भूमिका निभाई थी ।

Janmashtami Kaise Manayi Jati Hai?

जन्माष्टमी कई जगह अलग-अलग तरीक में मनाई जाती है। 

कई जगह इस दिन फूलों की होली भी खेली जाती है तथा साथ में रंगों की भी होली खेली जाती है। 

जन्माष्टमी के पर्व पर झाकियों के रूप में श्रीकृष्ण का मोहक अवतार देखने को मिलते है। 

मंदिरो को इस दिन काफी सहजता से सजाया जाता है। और कई लोग इस दिन व्रत भी रखते है। 

जन्माष्टमी के दिन मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण को झूला झूलाया जाता है। जन्माष्टमी को मथुरा नगरी में बहुत ही हर्षोल्लास से मानाया जाता है। 

जोकि श्रीकृष्ण की जन्मनगरी है।

जन्माष्टमी एक ऐसा त्योहार है जिसे लोग पूरे उत्साह के साथ मनाते है। इस पवित्र दिन में भक्त मंदिरों में भगवान से प्रार्थना कर उन्हें भोग लगाते है।

 इस दिन लोग अपने घरों में बालगोपाल को दूध, शहद, पानी से अभिषेक कर नए वस्त्र पहनाते है।

Dahi aur Handi Ka Kya Mahatva Hai?

श्रीकृष्ण को माखन दूध, दही काफी पसन्द था जिसकी वजह से पूरे गांव का माखन चोरी करके खा जाते थे। 

एक दिन उन्हें माखन चोरी करने से रोकने के लिए, उनकी मां यशोदा को उन्हें एक खंभे से बांधना पड़ा और इसी वजह से भगवान श्रीकृष्ण का नाम माखन चोर पड़ा।

वृन्दावन में महिलाओं ने मथे हुए माखन की मटकी को ऊंचाई पर लटकाना शुरू कर दिया, जिससे की श्रीकृष्ण का हाथ वहां तक न पहुंच सके, लेकिन नटखट कृष्ण की समझदारी के आगे उनकी ये योजना भी व्यर्थ साबित हुई

माखन चुराने के लिए श्रीकृष्ण ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर योजना बनाई और साथ मिलकर ऊंचाई में लटकाई मटकी से दही और माखन चुरा लिया।

 वही से प्रेरित होकर दही हांडी शुरू हुआ ।

जन्माष्टमी के मौके पर दही हांडी उत्सव भी मनाया जाता है.

शास्त्रों के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी मनाई जाती है। भगवान के जन्म की खुशियां मनाने के लिए दही हांडी का आयोजन किया जाता है।

Janmashtami Kab Hai 2025 Me? | Janmashtami 2025 Date

इस वर्ष भगवान श्रीकृष्ण का 5248 वां जन्मोत्स्व है 

इस वर्ष 18 अगस्त को कृष्ण जनमाष्टमी मनाई जाएगी।

भाद्रपद मास के कृष्ण अष्टमी पर हुआ था देवकीनंदन का जन्म, कृष्ण जन्मोत्सव भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है ।

भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर राहिणी नक्षत्र में हुआ था। अधर्म के ऊपर धर्म की विजय का प्रतीक माना जाता है भगवान श्रीकृष्ण का जन्म।

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Janmashtami Par Pakvan

इस पवन पर्व के मौके पर भक्त अपने आराध्य देव श्री कृष्ण को 56 भोग का प्रसाद चढ़ाते हैं. मान्यता है कि छप्पन भोग से भगवान श्री कृष्ण खुश होते हैं और उन्हें पूजने वालों को मनवांछित फल भी देते हैं।

नारियल और (मगज) खरबूजे की बीज की कतली

गोंद की बर्फी जन्माष्टमी के लिए 

खजूर के लड्डू

आटे का चूरमा

पंजीरी 

मूंग की कतली मूंगफली का बर्फी

नारियल और धनिया की बर्फी

गरी मखाने का पाग

मावा लड्डू

खसखस का हलवा

कोनी का खीर

कोनी बर्फ़ी

सिंघाड़े के मामले का हलवा

लौकी का हलवा

आलू का हलवा

शकरकंद का हलवा

कोनी और मावा की बर्फी

मथुरा पेड़ा, इत्यादि।

जन्माष्टमी करने से क्या होता है?

जन्माष्टमी के दिन स्त्री-पुरुष को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। ऐसा न करने वालों को पाप लगता है।

मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण को गौ अति प्रिय हैं। इस दिन गायों की पूजा और सेवा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, प्रत्येक धार्मिक उत्सव या व्रत के अपने कुछ नियम व मान्यताएं होती हैं। कहा जाता है कि इन मान्यताओं का पालन करने पर ही व्रत/पूजा का शुभ फल प्राप्त होता है।

आगे जानिए जन्माष्टमी कौन से काम नहीं करना चाहिए 

किसी का अनादर न करें

भगवान ने प्रत्येक इंसान को समान बनाया है इसलिए किसी का भी अमीर-गरीब के रूप में अनादर या अपमान न करें। लोगों से विनम्रता और सहृदयता के साथ व्यवहार करें। आज के दिन दूसरों के साथ भेदभाव करने से जन्माष्टमी का पुण्य नहीं मिलता।

तामसिक आहार न लें

ऐसी मान्यता है कि जिस घर में भगवान की पूजा की जाती है या कोई व्रत रखता है उस घर के सदस्यों को जन्माष्टमी पर्व के दिन लहसुन और प्याज जैसी तामसिक चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इस दिन पूरी तरह से सात्विक आहार की ग्रहण करना चाहिए।

ब्रह्मचर्य का पालन करें

मान्यता है कि जन्माष्टमी के दिन स्त्री-पुरुष को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। ऐसा न करने वालों को पाप लगता है।

गायों को न सताएं

मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण को गौ अति प्रिय हैं। इस दिन गायों की पूजा और सेवा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। किसी भी पशु को सताना नहीं चाहिए।

चावल या जौ का सेवन न करें।

शास्त्रों के अनुसार, एकादशी और जन्माष्टमी के दिन चावल या जौ से बना भोजन नहीं खाना चाहिए। चावल को भगवान शिव का रूप भी माना गया है।

रात 12 से पहले न खालें व्रत

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जन्माष्टमी का व्रत करने वाले को भगवान श्रीकृष्ण के जन्म होने तक यानी रात 12 बजे तक ही व्रत का पालन करन चाहिए। इससे पहले अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। बीच में व्रत तोड़ने वालों को व्रत का फल नहीं मिलता।

उम्मीद करता हु की अब आपको Krishna Janmashtami Kyon Manate Hai के बारे में पूर्ण जानकारी मिल गयी होगी

दोस्तो जन्माष्टमी के बारे मे बताये गए जानकारी आपको अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ इस जानकारी को share जरूर करे।

Raksha Bandhan Quotes in Hindi 2025

रक्षा बंधन 2025: क्या आप फेसबुक या वॉट्सएप पर रक्षबंधन से जुड़े शुभकामना संदेश शेयर करना चाहते है?

हम आपके लिए कुछ चुनिंदा शुभकामना रक्षा बंधन कोट्स, संदेश और Raksha bandhan quotes in Hindi में यहां लेकर आए हैं जिनसे आप अपनों को शुभकामनाएं भेज सकते है.

पहले के लेख में हमने बताया था की रक्षा बंधन क्यों और कैसे मनाया जाता है 

रक्षा बंधन भारत और नेपाल के कुछ हिस्सों में बारे ही धूम धाम से मनाया जाता है. रक्षा बंधन साल का वह समय होता है जब भाई बहन करुणा और विश्वास के बंधन का ख़ुशी मनाते हैं

इसमें बहन की भाई की कलाई पे पवित्र धागा बांधने की रस्म शामिल होती है , जो प्रतीकात्मक रूप से उनके लिए अपने प्यार का इज़हार करती है और बदले में बहन अपनी सुरक्षा की मांग करती हैं

इस त्यौहार के दिन हर कोई अपने खुशियों का इज़हार करना चाहते है चाहे वो आमने सामने हो या फिर सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पे. इसलिए हम आपके लिए चुनिंदा रक्षा बंधन कोट्स हिंदी में लाये है जिससे फेसबुक 

और व्हाट्सप्प के माध्यम से अपने चाहने वालो को भेज कर ख़ुशियाँ बात सकते है 

Raksha Bandhan Quotes in Hindi

Best Raksha Bandhan Quotes in Hindi 2025

Hindiblog4u अपने पाठकों के लिए भारतीय भाई बहनों का सबसे प्यारे त्यौहार रक्षा बंधन पर्व 2025  के अवसर पे Raksha bandhan कोट्स 2025, Rakhi Greeting 2025, Raksha Bandhan WhatsApp Messages 2025, Raksha Bandhan Mobile Wishes , Raksha Bandhan Picture Message, Raksha Bandhan Quotes और Rakhi Wishes इन हिंदी 2025 लेकर आये है |

Raksha Bandhan पावन पर्व के अवसर पर शुभकामना संदेश और बधाई अपने दोस्तों, रिश्तेदार और अपने फैमिली के लोगो तक पहुचाये |

सभी पाठकों को Hindiblog4u की ओर से रक्षा बंधन के ढेरों शुभकामनाये और बधाई

Raksha Bandhan Quotes in Hindi 

एक भाई प्रकृति द्वारा दिया गया दोस्त है

Raksha Bandhan Quotes Hindi

आया राखी का  त्योहार, 
छाई है खुशियों की बहार
रेशम की डोरी से बांधा एक बहन ने
अपनी भाई की कलाई पर प्यार

Raksha Bandhan Quotes for Brother

रिश्ता हम भाई बहन का,
कभी खट्टा कभी मीठा,
कभी रूठना कभी मनाना, 
कभी दोस्ती कभी झगड़ा,
कभी रोना और कभी हंसाना,
ये रिश्ता है प्यार का

Raksha Bandhan Quotes for Sister 

आसमान पर सितारे है जितने, उतनी जिंदगी हो तेरी
किसी की नज़र न लगे, दुनिया की हर खुशी हो तेरी
रक्षा बंधन के दिन भगवान से बस यह दुआ है मेरी

Quotes on Raksha Bandhan 

चन्दन की डोरी, फूलों का हार,
आया सावन का महीना और राखी का त्यौहार,
जिसमें झलकता है भाई बहन का प्यार
मुबारक हो आपको राखी का त्यौहार

Raksha Bandhan Funny Quotes for Brother

राखी का त्योहार आया
खुशियों की बहार लाया
आज ये दुआ करते हैं हम
भैया खुश रहो तुम हरदम

Quotes for Raksha Bandhan

मेरी प्यारी बहना,
मुझे तुझसे है कुछ कहना
तेरे स्नेह ने महकाया है
मेरे जीवन का कोना कोना

Raksha Bandhan Quotes for Sister in Hindi 

बहन तुम हो, तो खुशी है, 
जिंदगी है, परिवार है, 
अपनों का प्यार है,
ये जो तुम हो, 
तो यह रिश्ता बरकरार है।

Best Raksha Bandhan Quotes

राखी का त्योहार आया
खुशियों की बहार लाया
आज ये दुआ करते हैं हम
भैया खुश रहो तुम हरदम

Quotes on Raksha Bandhan in Hindi 

भाई बहन के प्यार का बंधन
है इस दुनिया में वरदान
इसके जैसा दूजा कोई न रिश्ता
चाहें ढूंढ लो सारा जहान

Quotes for Brother on Raksha Bandhan

चावल की खुशबू और केसर का श्रृंगार,
राखी, तिलक, मिठाई और खुशियों की बौछार।
बहनों का साथ और बेशुमार प्यार,
मुबारक हो आपको राखी का त्योहार।
Happy Raksha Bandhan

Heart Touching Raksha Bandhan Quotes in Hindi

चावल की खुशबू और केसर का श्रृंगार,
राखी, तिलक, मिठाई और हो खुशियों की बौछार,
बहनों का साथ और बेशुमार हो प्यार,
मुबारक हो आपको राखी का त्योहार।
हैप्पी रक्षाबंधन 2022

Funny Raksha Bandhan Quotes In Hindi For Sister

प्यार का धागा, विश्वास का धागा
खुशियों का धागा, यादों का धागा,
दोस्ती का धागा, मन का धागा,
भाई की कलाई पर बहन ने प्रेम से बांधा
हैप्पी रक्षाबंधन 2022

फूलों का तारों का सबका कहना है,
एक हज़ारो में मेरी बहना है,
सारी उम्र हमें संग रहना है।
Happy Raksha Bandhan

Raksha Bandhan Quotes In Hindi 2 Line

जिसमें झलकता है भाई-बहन का प्यार
मुबारक हो आपको राखी का त्योहार।
Happy Raksha Bandhan 2022

Raksha Bandhan Quotes In Hindi With Images

रक्षा बंधन का त्योहार है
हर तरफ खुशियों की बौछार है
एक धागे में बंधा
भाई-बहन का प्यार है।
हैप्पी रक्षाबंधन 2025

Raksha Bandhan Quotes In Hindi Text

बहना ने भाई की कलाई पर प्यार बांधा है,
तुम खुश रहो हमेशा यही सौगात मांगा है।
रक्षाबंधन 2025 की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

Happy Raksha Bandhan Quotes In Hindi

याद है हमें हमारा वो बचपन,
वो लड़न, झगड़ना और वो मना लेना,
ऐसा होता है भाई बहन का प्यार,
इसी प्यार को बढ़ाने के लिए आ रहा है
रक्षा बंधन का त्योहार

Best Quotes On Raksha Bandhan In Hindi

आसमान पर सितारे हैं जितने, उतनी जिंदगी हो तेरी,
किसी की नजर न लगे, दुनिया की हर खुशी हो तेरी,
रक्षाबंधन के दिन भगवान से बस यह दुआ है मेरी

उम्मीद है रक्षा बंधन से जुड़ी जानकारी और Raksha Bandhan quotes in Hindi आपको पसंद आया होगा. अगर आपको अच्छा लगा हो तो इस जानकारी को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे. लेख से ज़ुरा कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेंट के जरिये हमसे साझा जरूर करे.

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